अखाड़ा परिषद महामंत्री हरि गिरि महाराज ने किया एकात्म धाम, भगवान शंकराचार्य प्रतिमा स्थल अवलोकन, अखाड़ा परिषद अध्यक्ष ने किया भगवान ओमकारेश्वर का पूजन
उज्जैन, अग्निपथ। अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष और मां मनसा देवी ट्रस्ट हरिद्वार के अध्यक्ष महन्त रविंद्र पुरी महाराज बुधवार शाम उज्जैन पहुंचे। आज गुरुवार को वे भगवान महाकालेश्वर का दर्शन करने के बाद अखाड़ा परिषद महामंत्री महन्त हरिगिरी महाराज के साथ पुन: क्षेत्र का दौरा करेंगे।
वहीं अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के महामंत्री महंत हरि गिरि जी महाराज ओकारेश्वर पहुंचे उन्होंने आदि गुरु शंकराचार्य जी की 108 फिट ऊंची अष्ट धातु की मूर्ति स्थापना स्थल का अवलोकन किया और संग्रहालय, अद्वैत वेदांत संस्कृत विश्वविद्यालय के प्रोजेक्ट की जानकारी ली। अखाड़ा परिषद प्रवक्ता गोविन्द सोलंकी ने बताया कि बुधवार को अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद के अध्यक्ष महंत रविंद्र पुरी महाराज अध्यक्ष मां मनसा देवी ट्रस्ट ओमकारेश्वर पहुंचकर भगवान ओमकार का पूजन कर शंकराचार्य प्रतिमा स्थल एवं विभिन्न विषयों पर संस्कृति मंत्रालय के अधिकारियों से चर्चा की।
सर्वप्रथम महाराजजी ने ममलेश्वर मंदिर में दर्शन किए पूजा अर्चना करी पुण्य सलिला नर्मदा जी के दर्शन कर पूजा अर्चन करने के बाद जूना अखाड़े में इंद्रेश्वर महादेव मंदिर में अभिषेक किया। इसके पश्चात महाराज ने ओंकारेश्वर के साधु संतों एवं बाहर से आए हुए संतो के साथ बैठक कर ओंकारेश्वर के प्रमुख साधु-संतों से चर्चा की और स्थानीय लोगों से भी चर्चा करने के बाद उन्होंने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य जी महाराज ने ओमकारेश्वर में गुरु गोविंद पदाचार्य से दीक्षा ली थी।
इसलिए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के नेतृत्व में सरकार ओंकारेश्वर में आदि गुरु शंकराचार्य जी की मूर्ति स्थापना और संग्रहालय, अद्वैत वेदांत विश्वविद्यालय आदि का जो प्रोजेक्ट बनाया गया है वह स्वागत योग्य है और इसमें किसी प्रकार भी किसी आदिवासी या निम्न वर्ग एवं रहवासियो को नुकसान नहीं होगा। महाराजजी ने कहा कि आदि गुरु शंकराचार्य जी के इस प्रोजेक्ट का विरोध करना उचित नहीं है क्योंकि इससे यहां आने वाले श्रद्धालुओं की संख्या भी बढ़ेगी और लोगों को रोजगार भी मिलेगा।
साथ ही पर्यटन को बढ़ावा भी मिलेगा, जो लोग विरोध कर रहे है उन्हें भी हरिगिरि महाराज समझाइश दी और कहा की ओंकारेश्वर एक प्रसिद्ध तीर्थ स्थल है ज्योतिर्लिंग तीर्थ स्थल होने के साथ ही शंकराचार्य जी की दीक्षा स्थली भी है। इसलिए यहां धार्मिक महत्व के साथ ही पौराणिक महत्व भी है और इसको पर्यटन के रूप में यदि विकसित किया जाता है तो यहां पर उन्नति होगी और लोगों को रोजगार मिलेगा और आने वाले श्रद्धालुओं को एक अच्छी व्यवस्थाओं का लाभ मिलेगा जो संतों के आश्रम प्रभावित हो रहे हैं उनको भी विस्थापित कर आश्रम कुटियायें बना कर फिर दी जाएगी।
महाराज जी के साथ अनेक संत भी उज्जैन से गए थे, ओंकारेश्वर पहुंचने पर प्रशासन की ओर से अनुविभागीय अधिकारी चंद्रसिंह सोलंकी, संस्कृति विभाग की ओर से डॉ शैलेंद्र मिश्रा ने स्वागत किया। इस अवसर पर तहसीलदार उदय मंडलोई, एसडीओपी राकेश पेन्द्रों, टी आई बलराम सिंह राठौर आदि अधिकारी उपस्थित थे। प्रदेश पुरोहित पुजारी तीर्थ इकाई के अध्यक्ष पंडित जयप्रकश पुरोहित, नगर पत्रकार कि ओर से ठाकुर मंगल सिंह सहित पत्रकार भी उपस्थित थे।