जिला प्रशासन ने पंडे पुजारियों को इस पर विचार मंथन करने को कहा
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर में श्रावण भादौ मास में भगवान महाकाल की निकाले जाने वाली पालकी की ऊंचाई बढ़ाने को लेकर अथवा वाहन में रखकर दर्शन कराए जाने को लेकर पंडे पुजारियों में आपसी सहमति नहीं बन पाई है। संभवत: इसको परंपरा से जोडक़र देखा जा रहा है। इसको करने से परंपरा टूटने का हवाला भी दिया जा रहा है।
हाल ही में दर्शन व्यवस्था को लेकर कलेक्टर आशीषसिंह ने प्रशासनिक अधिकारियों, मंदिर अधिकारियों और पंडे पुजारियों के साथ विचार विमर्श किया था। जिला प्रशासन ने श्रद्धालुओं के मनोभावों को देखते हुए भगवान महाकाल की श्रावण भादौ मास में निकाली जाने वाले 6 सवारियों में पालकी की ऊंचाई बढ़ाने अथवा वाहन पर भगवान महाकाल का विग्रह रखकर दर्शन कराने पर विचार किया था। इस पर समीक्षा बैठक में भी मंथन किया गया था, लेकिन कोई निर्णय नहीं हो पाया था।
इसको जिला प्रशासन ने पंडे पुजारियों के पाले में डाल दिया था। लेकिन जानकारी में आया है कि पंडे पुजारियों ने पालकी की ऊंचाई बढ़ाने और वाहन आदि पर रखकर निकालने को परंपरा खंडित होना माना है। वहीं कहारों आदि को ऊंचाई बढ़ाने से होने वाली दिक्कतों पर विचार किया गया है। जानकारी में आया है कि परंपरा खंडित होने के चलते पालकी की ऊंचाई बढ़ाने अथवा वाहन पर रखकर निकाले जाने पर पंडे पुजारी सहमत नहीं हैं। हालंाकि इस मामले में कोई भी पंडा पुजारी सामने आकर कहने के लिए तैयार नहीं है।