आयोग के तुगलकी फरमान, कर्मचारियों के साथ प्रत्याशियों के लिए बना मुसीबत
झाबुआ, अग्निपथ। चुनाव आयोग के तुगलकी फरमान के चलते चुनावों के इतिहास में पहली मर्तबा चुनाव में लगे कर्मचारी मतदान से वंचित हो जाएंगे। एक और चुनाव आयोग सहित शासन प्रशासन शत प्रतिशत मतदान का ढिंढोरा पीट कर इसके लिए लाखो रुपए विज्ञापन में खर्च करता वही अपने आदेश से कर्मचारियों को मतदान से वंचित कर लोकतंत्र के इस महायज्ञ में आहुति देने से वंचित करता है। ओर इसका जवाब जिला निर्वाचन अधिकारी से ले कर आयोग के पास भी नहीं है। आखिर इतनी बड़ी भूल कहा किस से हुई।
राज्य निर्वाचन आयोग द्वारा प्रदेश भर में करवाये जा रहे त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में चुनाव सम्पन्न करवाने वाले अधिकांश शासकीय कर्मचारी अपने मत का उपयोग नही पाएंगे।
त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव में झाबुआ जिले में दो चरणों मे मतदान होना है जिसके के चलते जिले भर के अधिकांश कर्मचारियों की ड्यूटी जिला प्रशासन द्वारा निर्वाचन संपन्न करवाने में लगाई गई। किन्तु जिले के कई शासकीय कर्मचारियों की प्रथम ओर द्वितीय दो नो चरणो का मतदान सम्पन्न करवाने में दोहरी ड्यूटी लगाई हैं जिसके चलते अधिकाश कर्मचारी अपने अपने क्षेत्र का मतदान नही कर सकेंगे। वही निर्वाचन आयोग और जिला प्रशासन ने भी डाक मतपत्र आदि जेसी कोई व्यवस्था नही की है कि उक्त दोहरी ड्यूटी कर रहे कर्मचारी अपने मत का उपयोग कर सके।
एक तरफ निर्वाचन आयोग और शासन शत प्रतिशत मतदान करवाने के लिए सभी तरह तरह के प्रचार प्रसार कर लोगो को जागरूक कर रहा है । दूसरी तरफ अधिकांश कर्मचारियों की दोहरी ड्यूटी लगा कर मतदान से वंचित करना कहा कि न्याय है। जब कि ग्राम पंचायत स्तर के चुनाव में एक एक मत महत्वपूर्ण होता है । जिन पर गांव के विकास का भविष्य टिका होता है। ऐसे में अधिकांश शासकीय कर्मचारियों को मतदान करने से वंचित रखना दुर्भाग्यपूर्ण है।
राज्य निर्वाचन आयोग ओर जिला प्रशासन को चाहिए कि इस ओर ध्यान देकर दोहरी ड्यूटी कर रहे कर्मचारियों से भी मतदान अवश्य करवाये। ताकि लोकतंत्र के इस यज्ञ में वे भी अपनी आहुति दे सके।