झाबुआ. पूत के पाव पालने में नजर आते है या यू कहे की थोथा चना बाजे घना कहावत पंचायती राज चुनाव की आचार संहिता शुरू होते ही निर्वाचन आयोग के निर्देशानुसार प्रशासनिक तंत्र ने चुनाव से संबंधित सभी तैयारियां शुरू कर दी थी। शुरू से ही अंदाजा लगाया जा रहा था की जिले का प्रशासनिक अमला अपने सिर आई बला दूसरे पर थोपने जैसी चल रही हे और उसका परिणाम त्रि स्तरीय पंचायती चुनाव के तहत प्रथम चरण में आज संपन्न होने जा रहे थांदला पेटलावद के चुनावो में आ है गया।
चुनाव संपन्न करवाने हेतु यूं तो स्याही से ले कर हर चीज महत्वपूर्ण है किंतु मत पत्र सबसे महत्वपूर्ण हे क्योंकि यही मत पेटियों में कैद होते 1 बाहर निकल कर प्रत्याशियों का भविष्य तय करते हे। बताते हे प्रथम चरण के होने वाले चुनावों में थांदला पेटलावद दोनो ही जगह पटपत्र मतदान दल रवाना करने वाली तारीख के पूर्व आधी रात बाद आए कुछ वार्ड पांचों के मत पत्र तो सुबह जबतदान दल रवाना होने पहुंचे तब तक भी नही आ आ पाए थे। कर्मचारी परेशान होते रहे मत पत्रों के लिए आखिर मत पत्र देरी से छपने की तह तक गए तो पता चला की था प्रशासनिक लापरवाही तंत्र की आपसी खींचतान का नतीजा है। बताते हे दूसरे चरण का मतदान 1 जुलाई को होना हे और वहा के मत पत्र पहले छप कर आ चुके तथा प्रथम चरण जिसका चुनाव आज है के मतपत्र अर्ध रात्रि तक छपते रहे।
यूं तो जिला निर्वाचन अधिकारी व कलेक्टर बराबर पूरे जिले में संपन्न होने वाले चुनाव तैयारियों का जायजा लेते रहे प्रतिदिन कही न कही पहुंच कर शासकीय स्तर से प्रेसनोंट फोटो छपवाते रहे फिर इतनी बड़ी भूल वह भी निर्वाचन कार्य में होना गेर जिम्मेदाराना कर्तव्य पालन की श्रेणी में ही माना जाएगा अब यह तो निर्वाचन आयोग को देखना है की कभी प्रिंटिंग प्रेस में ही कोई तकनीकी त्रुटि आ जाती या कोई और वजह से मतपत्र नही छप पाते तो क्या होता। लापरवाही मझले या निम्न कर्मचारी से हुई होती तो निश्चित ही बेचारा कर्मचारी निलंबन का दंश भोगता नजर आता। कर्मचारी चुनाव को ले कर पहले ही भय भीत रहते है। ओर उनकी यह भयावहता थांदला में दल रवानगी के समय उस समय दिखी जब झाबुआ विकासखंड के ग्राम गेहलर बड़ी का दिव्यांग शिक्षक चुनाव आयोग को भय वश अपनी विकलांगता प्रतिशत का प्रमाण न दे कर चुनाव ड्यूटी में थांदला के व_ा में जा रहा था एक हाथ में डंडा और दूसरे हाथ में मतपेटी ले कर।
यहां हादसे से बचे मतदानकर्मी
थांदला से मतदान दल अपने गंतव्य तक पहुंचे उसके बाद हमारी टीम मतदान केंद्रों की व्यवस्था देखने निकली तो शुरू में ही मतदान केंद्र पर अव्यवस्थाओं का अंबार मिला तो नजरे टेढ़ी करने को कलम विवस हो गई की अब दाल पूरी पकी की नही देखने की जरूरत ही नही एक दाने से दाल की स्थिति की पता चल गई। क्षेत्र की ग्राम पंचायत सेमलपाड़ा के बूथ क्रमांक 133 पर जैसे ही मतदान दल पहुंचा मतदान केंद्र विरान पड़ा था लेट बाथ पर ताले जड़े थे।
नियमानुसार केंद्र के दोनो कक्ष पंखे होना थे किंतु एक कक्ष का पंखा बंद था तो जहा मतदान होना था उस कक्ष दो पंखों के स्थान पर एक ही चल रहा था वह भी हेलीकाप्टर की तरह आवाज कार्य रहा था। यहां मतदान कर्मी अपने घरों से लाए टिफिन से खाना खा ही रहे थे की उक्त कक्ष का पंखा नीचे आ गिरा यह तो गनीमत थी की मतदान कर्मी पंखे से कुछ दूर बैठ कर खाना खा रहे थे। गत दिनों जिला पंचायत मुख्य कार्यपालन अधिकारी ने सभी पंचायतों के मतदान केंद्रों पर माकूल व्यवस्था बनाने संबंधी पत्र जारी किया था जिसमे मतदान दल के चाय,पानी नाश्ता, भोजन के साथ केंद्रों पर विद्युत व पंखों की व्यवस्था रहे। बावजूद उसके ऐसी लापरवाही वह भी कलेक्टर के लगातर मतदान केंद्रों का भ्रमण करते रहे।
चुनाव में छोटी से लेकर बड़ी लापरवाहियों के लिए जिम्मेदार तंत्र के लापरवाहो पर आयोग का रुख ही तय करेगा की भविष्य में मतदाता तो भयमुक्त हो कर मतदान करेंगे किंतु क्या कर्मचारी भयमुक्त मतदान करवाएंगे।