उज्जैन। आमतौर पर 22 दिसंबर को सबसे छोटे दिन और सबसे बड़ी रात की गणना होती है लेकिन इस साल 21 और 22 दिसंबर दोनों दिन सबसे छोटा दिन और सबसे बड़ी रात होगी। वैसे तो उज्जैन स्थित जीवाजी वेधशाला में खगोलीय घटनाओं को टेलीस्कोप से देखने की व्यवस्था होती है लेकिन कोरोना काल के कारण इस साल यह व्यवस्था नहीं रहेगी।
क्यों बनेगी ऐसी स्थिति
जीवाजी वेधशाला के प्रभारी डॉ राजकुमार गुप्त ने बताया कि सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के चक्कर लगाने से 21 दिसंबर को सूर्य मकर रेखा पर लंबवत होगा। इस दिन सूर्य की दूरी विषुवत रेखा से 23 डिग्री 26 कला और 11 विकला दक्षिण होगी। सायन गणना के अनुसार सूर्य धनु राशि में 29 डिग्री 50 कला और 50 विकला पर होंगे। 22 दिसंबर को भी सूर्य मकर रेखा पर लंबवत होंगे। इस दिन सूर्य की विषुवत रेखा से दूरी 23 डिग्री 26 कला और 9 विकला दक्षिण है। 22 दिसंबर को सायन गणना के अनुसार, सूर्य मकर राशि में शून्य डिग्री 52 कला और 5 विकला पर होंगे। यही वजह है कि इस साल 21 और 22 दिसंबर को सबसे छोटा दिन और सबसे बड़ी रात होगी। दिन 10 घंटे 41 मिनट और रात 13 घंटे 19 मिनट की होगी।
21 और 22 को एक सूर्योदय और सूर्यास्त में एक मिनट का अंतर होगा
डॉ गुप्त के मुताबिक 21 और 22 को उज्जैन में सूर्योदय और सूर्यास्त में एक मिनट का अंतर होगा। 21 को सूर्योदय 7 बजकर 4 मिनट और सूर्यास्त 5 बजकर 45 मिनट पर होगा। जबकि 22 को सूर्योदय 7 बजकर 5 मिनट और सूर्यास्त 5 बजकर 46 मिनट पर होगा।
22 दिसंबर से उत्तरायण की स्थिति
22 दिसंबर को सूर्य के मकर राशि में प्रवेश करते ही सूर्य की गति उत्तर की ओर शुरू हो जाएगी। इसे ही उत्तरायण का प्रारंभ कहा जाता है। सूर्य के उत्तरायण की ओर गति करने का मतलब है कि उत्तरी गोलार्द्ध में दिन धीरे-धीरे बड़े होने लगेंगे। रातें छोटी हो जाएंगी। 21 मार्च को सूर्य विषुवत रेखा पर होगा। इस दिन रात-दिन बराबर होंगे।