ओंकारेश्वर मंदिर से 10 फीट दूर खोदे, एएसआई और जीएसआई के निर्देशों का खुला उल्लंघन
उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर का स्ट्रक्चर काफी पुरातन स्वरूप का है। स्ट्रक्चर का निरीक्षण करने के लिए पिछले वर्ष एएसआई (आर्कलॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) और जीएसआई (जियालॉजिकल सर्वे ऑफ इंडिया) की टीम आई थी। प्रतिवर्ष टीम द्वारा स्ट्रक्चर का निरीक्षण किया जाता है। लेकिन नागपंचमी के दर्शन को लेकर एक अस्थाई पुल के निर्माण के लिए जो गड्ढे खोदे गए हैं। वे 20 फीट के लगभग गहरे हैं। ऐसे में खुदाई के दौरान मंदिर के स्ट्रक्चर पर पडऩे वाले प्रभाव को नजरअंदाज करते हुए इस कार्य को संपादित किया जा रहा है।
मंदिर के स्ट्रक्चर और शिवलिंग क्षरण को लेकर एएसआई और जीएसआई की टीम दो साल में दो बार निरीक्षण के लिए आ चुकी है। इन टीमों ने मंदिर के स्ट्रक्चर को काफी पुराना माना है। इसके आसपास खुदाई अथवा अन्य वायब्रेशन आदि करने की मनाही की गई है। लेकिन परिसर स्थित भद्रकाली मंदिर के पास नागपंचमी पर्व पर श्रद्धालुओं के दर्शन के लिए एक नया अस्थाई पुल बनाने के लिए इसका बेस बनाया जा रहा है। जिसके चलते 20-20 फीट के तीन गड्ढे खोदे गए हैं। इन गड्ढों में तार सरिये डालकर कालम डालने की तैयारी की जा रही है। चौथा गड्ढा ओंकारेश्वर मंदिर बेस के ठीक पास खोदा जाएगा।
अस्थाई पुल का बेस पहले हटवा चुके
पिछली बार जब एएसआई और जीएसआई की टीम आई थी तो उसने मंदिर प्रशासन से पूर्व में लगे हुए अस्थाई लोहे के पुल के बेस को हटाने के निर्देश प्रदान किए थे। नागचंद्रेश्वर मंदिर प्रवेश द्वार के पास बने इस बेस को भी मंदिर के कर्मचारियों ने यहां से हटा दिया था। लेकिन इसके हटाने के बाद दूसरा अस्थाई लोहे के पुल का निर्माण कार्य की स्वीकृति दिए जाना कहीं ना कहीं एएसआई और जीएसआई के निर्देशों का खुला उल्लंघन प्रतीत हो रही है।
ढाई फीट की जगह 20 फीट खोद डाला
जानकारी में आया है कि अस्थाई पुल का निर्माण एक दानदाता द्वारा करवाया जा रहा है। पूर्व में अस्थाई पुल को बेस देने के लिए ढाई फीट खोदने की बात कही गई थी। लेकिन अब इसको दरकिनार करते हुए 20-20 फीट गहरे तीन गड्ढे खोद दिए गए हैं। ऐसे में मंदिर के स्ट्रक्चर को नुकसान हो सकता है। लेकिन इसकी परवाह किए बगैर बाले बाले इसकी स्वीकृति प्रदान कर दी गई।