शिवांश बिजनेस पार्क के मामले का चालान पेश

Shivansh business park ujjain

भवन निरीक्षक, कंपनी डायरेक्टर को कराना पड़ी जमानत, दो पूर्व अधिकारियों पर भी गिरेगी गाज

उज्जैन, अग्निपथ। देवास रोड पर आर.एम. विनो इस्टेट डेवलपर्स कंपनी द्वारा विवादास्पद जमीन पर बनाए गए शिवांश बिजनेस पार्क के मामले में लोकायुक्त इंदौर ने विशेष न्यायालय उज्जैन में चालान पेश कर दिया है। चालान पेश होने के बाद इस प्रकरण में नगर निगम की भवन निरीक्षक मीनाक्षी शर्मा सहित कंपनी के डायरेक्टर मुकेश रांका को जमानत करानी पड़ी है। नगर निगम के पूर्व कार्यपालन यंत्री रामबाबू शर्मा और अरूण जैन भी इस प्रकरण में आरोपी है, जल्द ही इन दोनों पर भी गाज गिर सकती है।

देवास रोड स्थित आवासीय भूमि पर कर्मिशयल निर्माण की अनुमति दे दिए जाने से जुड़े इस मामले में नगर निगम के चार अधिकारियों और निर्माण करने वाली कंपनी आर.एम. विनो इस्टेट डेवलपर्स के डायरेक्टर्स के खिलाफ लोकायुक्त संगठन इंदौर द्वारा जांच की गई है। पिछले साल लोकायुक्त ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम समेत षड्यंत्र की धारा में नगर निगम के 4 अधिकारी तत्कालीन अपर आयुक्त मनोज पाठक, तत्कालीन कार्यपालन यंत्री रामबाबू शर्मा, अरूण जैन, तत्कालीन भवन निरीक्षक मीनाक्षी शर्मा के खिलाफ एक साल पहले केस दर्ज किया था। जांच के दौरान मनोज पाठक का नाम बाहर हो गया। उनके खिलाफ लोकायुक्त को कोई साक्ष्य नहीं मिला। ऋषिनगर निवासी दिव्यासिंह ने मामले की लोकायुक्त को शिकायत की थी।

जांच के दौरान यह साफ हो गया है कि नगर निगम के अधिकारियों ने देवास रोड की करीब आठ से दस करोड़ की आवासीय भूमि पर कर्मिशयल निर्माण की अनुमति देने में नगर निगम के अधिकारियों ने कई स्तर पर जानबूझकर लापरवाही की है और कंपनी को फायदा पहुंचाने की कोशिश की है। भवन निरीक्षक मीनाक्षी शर्मा अब भी नगर निगम उज्जैन में ही पदस्थ है। प्रकरण में उनके विरूद्ध चालान पेश होने और उनके द्वारा जमानत कराए जाने के बाद अब इस बात की पूरी संभावना है कि अगले सप्ताह में मीनाक्षी शर्मा को निलंबित कर दिया जाएगा।

अभियोजन के मामले में पड़ी फटकार

शिवांश बिजनेस पार्क के अवैध निर्माण के मामले में पूर्व भवन अधिकारी रामबाबू शर्मा (फिलहाल रतलाम में पदस्थ) और अरूण जैन (अब सेवानिवृत्त) के खिलाफ भी चालान कोर्ट में पेश किया जाना है। दोनों ही अधिकारियों के खिलाफ चालान पेश करने से पहले अभियोजन स्वीकृति जरूरी है। इनकी नियोक्ता नगर निगम उज्जैन है लिहाजा लोकायुक्त ने नगर निगम प्रशासक सह संभागायुक्त संदीप यादव के पास अभियोजन स्वीकृति का प्रस्ताव भेजा था।

संभागायुक्त कार्यालय में यह प्रस्ताव ठंडे बस्ते में डाल दिया गया। कुछ दिन पहले नगरीय प्रशासन के प्रमुख सचिव मनीष सिंह को लोकायुक्त न्यायमूर्ति एन.के. गुप्ता ने तलब कर खूब फटकार लगाई। इसके बाद अभियोजन स्वीकृति की प्रक्रिया संभागायुक्त कार्यालय में दोबारा शुरू हुई है। संभागायुक्त संदीप यादव ने अब फाइल को नगरनिगम आयुक्त अंशुल गुप्ता के पास भेजकर मामले में विधिक राय मांगी है।

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