बदनावर, अग्निपथ। क्षेत्र के ग्राम चावंडा खेड़ी में हत्या के दो साल पुराने मामले में कोर्ट ने आरोपी को दोषी करार देते हुए आजीवन कारावास की सजा दी है। दोषी ने बक्के से एक युवक की गर्दन काटकर हत्या कर दी थी।
बदनावर कोर्ट में प्रथम अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश विशाल अखंड ने सोमवार को मामले में फैसला सुनाते हुए दोषी संजय उर्फ संजू पिता राजू गामड़ को आजीवन कारावास तथा अर्थदंड की सजा से दंडित किया है। अभियोजन के अनुसार आरोपी संजय उर्फ संजू पिता राजू गामड़ निवासी चावंडाखेड़ी ने घटना दिनांक 2 अक्टूबर 2020 की सुबह ग्राम चावंडाखेड़ी में गोवर्धन मुनिया की श्मशान घाट की झाडिय़ों के पीछे गर्दन काट कर हत्या कर दी थी।
घटना के बाद गांव से संजू तथा उसका परिवार गायब हो गया था। पुलिस ने मर्ग कायम कर शव का पोस्टमार्टम कराने के बाद फरियादी राकेश मुनिया की रिपोर्ट पर हत्या का प्रकरण दर्ज कर आरोपी संजय को गिरफ्तार कर तफ्तीश के पश्चात अभियोग पत्र न्यायालय में पेश किया था।
अभियोजन पक्ष के अनुसार फरियादी राकेश जब सुबह श्मशान घाट की तरफ से लैट्रिन करके वापस गांव की ओर आ रहा था तभी रास्ते में उसके काका गोवर्धन मिले थे। उनके पीछे आरोपी संजू आ रहा था। जो फरियादी को देखकर टी-शर्ट के अंदर कुछ छुपा कर शमशान की तरफ चला गया था। थोड़ी देर बाद चौकीदार रामचंद्र चिल्लाया कि अभियुक्त संजू ने लोहे के धारदार हथियार बका से गोवर्धन की गर्दन काट दी।
गोरधन की गर्दन काटकर की गई थी हत्या
इस पर फरियादी ने मौके पर जाकर देखा तो गोवर्धन की लाश गर्दन कट कर शरीर से अलग पड़ी थी। बाद में गवाहों ने बताया था कि ज्योति पिता कैलाश मुनिया को संजू फोन लगाता था। जिसका पूर्व में विवाद हुआ था। संजू अलग गोत्र का होने से पूर्व सरपंच नंदराम व गांव वालों ने आपसी समझौता करवा दिया था। इसी बात को लेकर संजू ने गोवर्धन की हत्या कर दी थी।
अभियोजन पक्ष द्वारा प्रस्तुत गवाहों एवं दस्तावेजी सबूतों के आधार पर न्यायालय इस निष्कर्ष पर पहुंचा कि अभियोजन अभियुक्त के विरुद्ध परिस्थितिजन्य साक्ष्य की कडिय़ां संदेह से परे प्रमाणित करने में सफल रहा है। इन्हें जोडऩे से अभियुक्त के विरुद्ध मृतक गोवर्धन की हत्या करने का अपराध प्रमाणित होता है। न्यायालय में अभियुक्त संजय को दोष सिद्ध पाया गया तथा अपराध की गंभीरता को देखते हुए आरोपी को परिवीक्षा अधिनियम के किसी प्रावधान के लाभ प्राप्त करने के योग्य नहीं मानते हुए फैसले में लिखा कि दंड अधिरोपित करते समय अनुचित सहानुभूति समाज को नुकसान पहुंचा सकती है।
आरोपी ने जिस प्रकार से मृतक की एक ही वार में गर्दन काटी है, उसका यह कृत्य निश्चित ही अत्यंत गंभीर प्रकृति का है। क्योंकि जिस तरह से मृतक की गर्दन पर वार किया गया, उससे दर्शित है कि अभियुक्त का आशय मृतक की हत्या करना ही था। अत: उसे धारा 302 भादवि के अंतर्गत आजीवन कारावास की सजा से दंडित किया जाता है तथा 5000 रुपए अर्थदंड भी किया जाता है। जिसका भुगतान नहीं करने पर 6 माह का अतिरिक्त सश्रम कारावास भुगतना होगा। अभियुक्त पूर्व से ही न्यायिक अभिरक्षा में होने से उसका सजा वारंट बनाकर आगामी सजा भुगतने के लिए सब जेल बदनावर भेजा गया। जानकारी अपर लोक अभियोजक भानुप्रतापसिंह पंवार ने दी।