हर बार पशुओं से कोई बड़ा हादसा होने के बाद अचानक नगर निगम आवारा पशुओं पर बड़ी-बड़ी कार्रवाई किए जाने का दम भरता है। निगम कर्मचारियों से बेरुखी रखने वाले एक-दो पशुपालकों के बाड़े तोड़ दिए जाते हैं और बड़ी-बड़ी कार्रवाई थम जाती है। आवारा पशु और सूअर फिर सडक़ों पर दमदारी से घूमने लगते हैं और दुर्घटनाओं को अंजाम देते हैं।
सोमवार को मुनि नगर में एक बुजुर्ग की पशु के कारण ही जान पर बन आई। इस घटना से एक बार फिर सवाल उठता है कि नगर निगम आवारा मवेशियों की स्थाई व्यवस्था क्यों नहीं कर पा रही है। हर बार कार्रवाई होती है और पशु बाड़े तोडऩे के दावे किए जाते हैं। कुछ समय बाद हालात फिर भी पहले की तरह हो जाते हैं।
पिछले दिनों कार्रवाई के दौरान शहर की सडक़ों पर घूमने वाले मवेशी गायब हो गए थे। फिर अब ऐसा क्या हुआ कि चंद दिनों में ही मवेशी फिर सडक़ों पर घृूम रहे हैं। अगर नगर निगम के आला अधिकारी वाकई इस समस्या को जड़ से मिटाना चाहते हैं तो पहले घर के भेदी को पकड़ो। सिर्फ मोबाइल कॉल डिटेल ही कर्मचारियों की निकल आए तो साफ हो जाएगा निगम कर्मचारियों की सूअर और मवेशी पालकों से कितनी घनिष्ठता है।