विक्रम कीर्ति मंदिर में शिक्षा में स्वायत्ता पर अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी संपन्न
उज्जैन, अग्निपथ। शिक्षा संस्कृति उत्थान नईदिल्ली तथा विक्रम विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वावधान में शिक्षा में स्वायत्ता और राष्ट्रीय शिक्षा नीति विषय पर दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय संगोष्ठी का समापन विक्रम कीर्ति मंदिर में हुआ। समापन सत्र के मुख्य वक्ता शिक्षा विद एवं चिंतक जगराम नईदिल्ली ने अपने संबोधन में कहा कि शिक्षक और विद्यार्थी दोनों को चरित्रवान होना चाहिये। चरित्र है तो जीवन है, अच्छा विचार किसी की बपौती नहीं हो अपितु वह सनातन का होता है।
सत्य को पकड़ोगे तो सहज हो जाओगे। बिना प्रेम के भक्ति सफल नहीं हो सकती, विनम्रता विद्या से आती हैं असंस्का रहित मनुष्य पूर्णता प्राप्त करता है। हमें और आपको जीवन का लक्ष्य निर्धारित करना चाहिये। लोक जागरण से लोक व्यवस्था की यात्रा करनी होगी। न्यास शिक्षा के विभिन्न विषयों और आयामों पर काम कर रहा है।
कार्यक्रम की अध्यक्षता करते हुए कुलपति प्रो. अखिलेशकुमार पांडेय ने कहा कि शोधार्थी नई तकनीक तो ग्रहण करें किंतु अपने पठन पाठन और हस्तलेखन को भी जारी रखें। हमारी नई पीढ़ी लिखना बहुत कम कर रही हैं। सबकासाथ सबका विकास राष्ट्रीय आंदोलन है। न्यास का उद्देश्य जब पूरा होगा जब हम सब मिलकर कार्य करेंगे।
शिक्षा में स्वायत्ता विषय के राष्ट्रीय संयोजक डॉ. दुर्गाप्रसाद अग्रवाल ने न्यास के राष्ट्रीय सचिव अतुल कोठारी के संदेश का वाचन किया। तकनीकी सत्र की अध्यक्षता अंबेडकर विवि महू के कुलपति प्रो. दिनेश शर्मा ने करते हुए बताया कि वे आगामी दीक्षांत समारोह की उपाधियों पर हिंदी में हस्ताक्षर करेंगे।
सत्र में ओमप्रकाश शर्मा झाबुआ, डॉ. संदीप जोशी जयपुर, डॉ. राकेश ढंड उज्जैन, डॉ. भरत व्यास भोपाल, शोभा पेढनकर इंदौर, डॉ. गायत्री स्वर्णकार राजस्थान तथा डॉ. जय वर्मा यूके, डॉ. सोनेश मलिक यूएसए, डॉ. अंजली चिंतामणी मॉरिशस, डॉ. सुरेशचंद्र शुक्ल, शरद आलोक ओसला नार्वे, योना ज्योफ्री तंजानिया ने भी संबोधित किया। समापन सत्र में संगोष्ठी प्रतिवेदन गोष्ठी के संयोजक डॉ. डीडी बेदिया ने प्रस्तुत किया। संचालन डॉ. जफर महमूद ने किया एवं आभार कुलसचिव डॉ. प्रशांत पुराणिक ने व्यक्त किया।