गेट की जालियों के कारण प्राय: होती रही हैं घटनाएं
झाबुआ, अग्निपथ। जिला अस्पताल की अव्यवस्था को लेकर एक बार नहीं बल्कि अनेक बार मुख्यमंत्री तक को भी शिकायत हो चुकी है। इसके बावजूद यहां कभी कुछ नहीं हुआ। प्रशासनिक अधिकारी कभी कभार नाम के लिए दौरा कर लेते हैं। बाद में वही पुरानी स्थिति हो जाती है। जिला चिकित्सालय का प्रशासन विशेषकर जिला स्वास्थ्य प्रशासन मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा. जेपीएस ठाकुर की ढुल मुल कार्य प्रणाली के चलते जिला चिकित्सालय पर किसी भी प्रकार का अंकुश लगाने में पूरी तरह फ्लाप ही साबित हो रहे हे
। जिले का एक मात्र रेफरल अस्पताल होने के साथ ही चाहे कागजी तोर पर इसे आईएसओ प्रमाणपत्र मिल गया हो किन्तु यहां ढचरा कभी सुधरेगा भी इसकी संभावना कम ही दिखाइ्र दे ती है । अंगद के पांव की तरह यहां बरसों से जमे लोग चाहे वे एक्स-रे विभाग में हो या अन्य विभाग में, इनके पांव इतने जम चुके है कि इनके द्वारा अपना राजनैतिक प्रभुत्व भी कायम कर लिया है । सत्ताधारी दलो से मधुरं संबंध बना कर अपनी उपरी कमाई को धडल्ले से अंजाम दे रहे हैं।
जिला चिकित्सालयं मे चाहे सरकर न करोड़ों के उपकरण एवं सुविधायें मुह्रैया कराई हो किन्तु जिला चिकित्सालय में आनेवाले मरीजों को बारीश के दिनों में व्यापक परेशानिया झेनला पड रही है । जिला अस्पताल के दोनों गेट की हालत दिन ब दिन जर्जर हो रही है और इसे देखने की तथा व्यवस्थित कराने की फुर्सत न तो सिविल सर्जन को है और न ही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी इस और ध्यानदे रहे है ।
जिला अस्पताल में प्रवेश करने के लिये गेट के वहांजो आयरल की जालिया लगाई हुई है उसमें इतनी अधिक चौडाई है कि आये दिन गाय एवं पशुओं के पांव इसमें फंस रहे है । यदि वृद्ध जन या बच्चें असावधानीवश यहां गजरतेहै तोउसके पांव फसने एवं छेटी बडी दुर्घटना होने से इंकार नही किया जासकता है ।पूर्व में कइ्र बारइन गेट की जालियों को लेकर भी मीडिया ने आवाजे उठाई है किन्तु जनहित के इस कार्य की ओर भी जिला अस्पताल प्रबंधन का ध्यान नही है । इस तरह यहां की जनहित की व्यवस्था पूरीतरह से लचर हो चुकी है ।