देवास, अग्निपथ। विशेष सत्र न्यायालय ने दुष्कर्म के मामले में आरोपित किशनलाल राठौर को पाक्सो एक्ट में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। पीडि़ता के पक्ष विरोधी होने के बाद भी वैज्ञानिक साक्ष्य (डीएनए रिपोर्ट) के आधार पर न्यायालय ने सजा दी है।
प्रकरण में आरोपित एवं फरियादी पक्ष में न्यायालय के बाहर राजीनामा हो गया था। इस कारण पीडि़ता ने पक्ष विरोधी होकर न्यायालय के समक्ष अपने कथन बदल दिए थे, परन्तु प्रकरण में डीएनए रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी। जिस कारण अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक जिला अभियोजन अधिकारी राजेंद्र सिंह भदौरिया ने न्यायालय में लिखित बहस पेश की और यह तर्क दिया कि मानव प्रकृति है कि वह झूठ बोल सकता है किंतु विज्ञान नहीं।
प्रकरण में डीएनए रिपोर्ट पाजिटिव होने से यह सिद्ध होता है कि आरोपित किशनलाल ने ही घटना की है। इस तरह न्यायालय ने अभियोजन के तर्क से सहमत होते हुए वैज्ञानिक साक्ष्य के आधार पर आरोपित को दोषसिद्ध किया गया।
4 फरवरी 2020 को 8 वर्ष की बालिका को आरोपित किशनलाल राठौर ने आवाज लगाकर फेस क्रीम का पाउच लाने के लिए बुलाया। बालिका ने पाउच लाकर किशन को घर पर दिया। आरोपित ने घर में बालिका का साथ दुष्कर्म किया था। जब बालिका के स्वजन पहुंचे तो आरोपित ने उन्हें धमकाया कि अगर उसकी रिपोर्ट थाने पर की तो वह बालिका को जान से मार देगा। पुलिस ने आरोपित को गिरफ्तार कर न्यायालय में प्रस्तुत किया था।
प्रकरण में शासन की ओर से अभियोजन का सफल संचालन विशेष लोक अभियोजक जिला लोक अभियोजन अधिकारी राजेंद्र सिंह भदौरिया व अतिरिक्त जिला लोक अभियोजन अधिकारी आशा शाक्यवार एवं एडीपीओ ज्योति अजमेरा द्वारा किया गया।