कलेक्टर ने जारी किया निर्वाचन कार्यक्रम, भाजपा में अब भीतरी जंग
उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम में पार्षद और महापौर पद की जंग के बाद अब नगर निगम अध्यक्ष पद की जंग के लिए भी तारीख तय हो गई है। 6 अगस्त को नगर निगम सदन का पहला सम्मेलन होगा और इसी में अध्यक्ष पद का चुनाव भी किया जाएगा। सदन में भाजपा बहुमत की स्थिति में है लिहाजा इसी दल का उम्मीदवार अध्यक्ष पद की कुर्सी पर काबिज होगा। भाजपा में भी पांच वरिष्ठ पार्षदों के बीच अध्यक्ष पद पाने की प्रतिस्पर्धा चल रही है।
निकाय निर्वाचन के पीठासीन अधिकारी सह कलेक्टर आशीष सिंह ने निगम अध्यक्ष चुनाव के लिए निर्वाचन कार्यक्रम की घोषणा की है। 6 अगस्त की सुबह 10 बजे से नगर निगम की नई परिषद का पहला सम्मेलन होगा। सुबह 10 बजे निगम सभागृह में महापौर व पार्षदों की शपथ होगी। सुबह 11 से 12 बजे के बीच अध्यक्ष पद के लिए नाम निर्देशन पत्र जमा होंगे। दोपहर 12 से 12.15 बजे तक नामांकन की जांच होगी। दोपहर 1.30 से 3 बजे तक का समय यदि जरूरी हुआ तो मतदान के लिए निर्धारित किया गया है।
मतगणना समाप्त के तुरंत बाद ही मतों की गणना और निर्वाचित अध्यक्ष के नाम की घोषणा कर दी जाएगी। निगम सदन में कुल 54 पार्षदों में से 37 भाजपा के है। कांग्रेसी खेमे में केवल 17 ही पार्षद है। इस बात की संभावना ज्यादा है कि नगर निगम अध्यक्ष पद का निर्वाचन आम सहमति के आधार पर ही हो जाए और चुनाव कराने की नौबत ही नहीं आए।
अध्यक्ष की कुर्सी के लिए भाजपा के 5 दावेदार
शिवेंद्र तिवारी- तीसरी बार पार्षद बने है, दबंग छबि और प्रशासनिक कार्यक्षमता है। जोन अध्यक्ष रह चुके है। उज्जैन उत्तर में सवर्ण खासतौर पर ब्राह्मण बहुल इलाको में जिस तरह से भाजपा की नींव खसकी है, उसे देखते हुए पार्टी इन्हें मौका दे सकती है। ब्राह्मण वर्ग से अंजु भार्गव के बाद वैसे भी किसी अन्य ब्राह्मण को नगर निगम की राजनीति में कभी ताकतवर नहीं होने दिया गया।
- कमजोर पक्ष- ब्राह्मण वर्ग से होना ही कमजोरी, भाजपा के शहर अध्यक्ष विवेक जोशी, राज्यमंत्री दर्जा प्राप्त विभाष उपाध्याय इसी वर्ग से है और पहले से पार्टी द्वारा उपकृत है।
कलावती यादव- लगातार छटी बार पार्षद बनी है। दो बार उज्जैन दक्षिण में और 4 बार उत्तर क्षेत्र के वार्ड से चुनाव जीता। सदन में फिलहाल सबसे अनुभवी पार्षद है। उच्चशिक्षा मंत्री डा. मोहन यादव खेमे के सबसे ज्यादा पार्षद है और उनकी बड़ी बहन होने की वजह से अध्यक्ष पद की सबसे मजबूत दावेदार है।
- कमजोर पक्ष- एक परिवार-एक पद वाली बात नुकसान पहुंचा सकती है।
सत्यनारायण चौहान- लगातार चौथी बार पार्षद बने है। पिछली दो महापौर परिषद में सदस्य रहे। दबंग दबि है, संगठन में भी काम का अनुभव है। सबसे मजबूत पक्ष माली समाज का प्रतिनिधि होना है। उज्जैन उत्तर और दक्षिण में यह समाज काफी मजबूत स्थिति में है। पिछड़ा वर्ग का नगर निगम में बड़ा चेहरा है।
- कमजोर पक्ष- पार्टी लगातार तीन बार से नगर निगम में माली समाज के प्रतिनिधि के रूप में ही सोनू गेहलोत को मौका देते आ रही है, सोनू एक बार हारे, दो बार जीते।
रामेश्वर दुबे- दूसरी बार पार्षद बने है, सीधे प्रदेश अध्यक्ष वी.डी. शर्मा से संबंधो का लाभ मिल सकता है। ब्राह्मण वर्ग से नगर निगम में पार्टी का दूसरा बड़ा चेहरा है। निगम चुनाव से पहले अपने ही संगठन में विरोध झेलकर भी ताकत से डंटे रहे, चुनाव लड़े भी और जीते भी, इससे छबि मजबूत हुई।
- कमजोर पक्ष- निचले स्तर पर पार्टी के कार्यकर्ताओं की नाराजगी अब भी कायम है। शहर के प्रमुख भाजपाई भी पक्ष में नहीं है।
योगेश्वरी राठौर- लगातार तीसरी बार पार्षद बनी है। किसी कारण से यदि कलावती यादव का पक्ष कमजोर हुआ तो पिछड़ा वर्ग महिला के रूप में सबसे मजबूत दावेदार रहेंगी। जगदीश अग्रवाल इन्हीं का नाम आगे बढ़ा रहे है। भाई के जरिए राजनीति में आई और धीरे-धीरे खुद की जगह बनाई। महापौर परिषद में कार्य का अनुभव।
- कमजोर पक्ष- महापौर परिषद में रहते हुए महापौर से ही पटरी नहीं बैठी। कार्यकाल में कोई बड़ी उपलब्धी नहीं है।