उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध भगवान महाकाल को सबसे पहले राखी बांधी जाएगी। महाकालेश्वर मंदिर में 11 अगस्त को सुबह भस्मारती में राखी का पर्व मनाया जाएगा। इसके लिए भस्मारती करने वाले पुजारी परिवार की महिलाओं ने राखी बना कर तैयार की है। इसी दिन भगवान महाकाल को सुबह होने वाली भस्म आरती के दौरान सवा लाख लड्डुओं का महाभोग भी इसी परिवार द्वारा लगाया जाएगा।
हिंदुओं का कोई भी त्योहार हो, सबसे पहले भगवान महाकाल के आंगन में ही मनाया जाता है। महाकाल मंदिर शैव परंपरा से जुड़ा होने के कारण वैष्णवों के त्योहार से एक दिन पहले शैव सम्प्रदाय को मानने वाले त्योहार मनाते हैं। गुरुवार 11 अगस्त को रक्षाबंधन के दिन अल सुबह होने वाली भस्म आरती के दौरान पुजारी परिवार की महिलाएं भगवान महाकाल को राखी अर्पित करेंगी।
इसके लिए करीब चार दिन पहले से ही महेश पुजारी के परिवार की महिलाओं ने तैयारी शुरू कर दी थी। चार दिन की मेहनत के बाद भगवान महाकाल की राखी बनकर तैयार है। भगवान महाकाल के लिए पुजारी परिवार की ममता शर्मा, वैभवी शर्मा व प्रीति शर्मा ने रत्न जडि़त मोरपंखी राखी तैयार की है। चार फीट की राखी शैव व वैष्णव परंपरा अनुसार बनाई गई है।
भगवान बड़े गणेश को भी बंधेगी राखी
श्री महाकालेश्वर मंदिर के पीछे स्थित बड़े गणेश मंदिर में रक्षा बंधन का पर्व मनाया जाएगा। यहां पर भगवान गणेश की 10 फ़ीट से अधिक ऊंची प्रतिमा के लिए देश भर से महिलाएं विशेष तौर पर राखी भेजती है। जिसमें विदेश में निवासरत महिलाएं भी शामिल रहती हैं। राखी का थीम राष्ट्रीयता से ओतप्रोत रहता है। मंदिर में सुबह पूजन अभिषेक के बाद भगवान गणेश को राखी बांधी जाएगी।
इनका कहना है
रक्षाबंधन पर भगवान महाकाल को परिवार की महिलाओं द्वारा स्वयं के द्वारा बनाई हुई राखी पहनाई जाएगी। सवा लाख लड्डुओं का महाभोग भी लगाया जाएगा।
– राम शर्मा, पुजारी और मंदिर समिति सदस्य
राखी पर कल सवा लाख लड्डुओं का भोग
महाकाल मंदिर में 11 अगस्त को अल सुबह भस्म आरती के दौरान सवा लाख लड्डुओं का भोग लगेगा। इसके बाद लड्डुओं का श्रद्धालुओं में वितरण किया जाएगा। लड्डू बनाने के लिए शुद्ध घी का उपयोग किया जाता है। महाकाल मंदिर परिसर में चार दिन पहले से काम शुरू हो चुका है। इसके लिए 100 डिब्बे घी , 30 किवंटल बेसन, 45 किलो शक्कर के साथ सूखा मेवा भी लगेगा।