झालरिया मठ में शिव महापुराण कथा की पूर्णाहुति
उज्जैन, अग्निपथ। हमेशा अहंकार शून्य भी नहीं होना चाहिये, आदमी को अहंकार वहां दिखाना चाहिये जब किसी डूबते की जान बचाना हो, बचाओ उसे। अति अहंकरी नहीं होना चाहिये, रावण अति अहंकारी था भगवान को, गुरू को भी नहीं मानता था। नष्ट हो गया और आज 10 लाख वर्ष बाद भी अपयश का शिकार हो रहा है। अति दानी नहीं होना चाहिये अति दानी होने से हरिशचंद्र को दुख भोगना पड़ा। सीमा में रहकर बोले, अति के बोले न बोलिये, अति की भली न चूक। गलती, अति थोड़ी हो चलता है अन्यथा पूरा जगत थूकता है। अति का ध्यान रखो। अति सर्वत्र वर्जयेत।
उक्त बात नृसिंह घाट के समीप स्थित झालरिया मठ में चल रही शिव महापुराण कथा में 1008 महामंडलेश्वर स्वामी इंद्रदेव सरस्वती महाराज ने कही। कथा की पूर्णाहुति के अवसर पर स्वामी इंद्रदेव सरस्वती महाराज ने कहा लोग कहते हैं साल में पहले दिन जो करो वह साल भर होता है, पत्नी को लाते ही धौंस जमाओ नहीं तो सर पर बैठ जाएगी, जिंदगी भर हुकुम झाड़ेगी, यह सब गलत है।
पत्नी को घर लाए हो तो सर पर ही बैठाकर रखो अगर वो सुलक्षणी होगी तो सम्मान करेगी यदि कुलक्षणी होगी तो आप नहीं भी बैठाओगे तो भी सर पर बैठ ही जाएगी। पुरूष सुधर जाते हैं पर स्त्री नहीं सुधरती। करोड़ों महिलाओं ने पुरूषों को सुधार दिया पर दुनिया एक हो जाए तो भी एक महिला को सुधार पाना मुश्किल है।
भगवान श्रीकृष्ण वैकुंठ की यात्रा से पहले कहके गए कलयुग में सबसे ज्यादा प्रचार भागवत का होगा, जो भी कलयुग में भागवत सुनेगा, पुराण सुनेगा उसे मेरे ही दर्शन का लाभ होगा। हमारे घर में पुत्र कुरूप पैदा हो जाए, लेकिन उसमें बलिदान देने की भावना है तो उसे भी भगवान देवता माना जा सकता है। भगवण गणेश की महिमा है, तुम्हारे पेट में से ऐसा पैदा हो जाए तो, हाथी का चेहरा तुम्हारे पुत्र को लग के आ जाए तो, पार्वती को भी तब पसंद आये जब वे सर्वगुण संपन्न हो गए। गणेश कृपा करेंगे तो सब देवता प्रसन्न करेंगे, अगर गणेश प्रसन्न नहीं तो कोई देवता प्रसन्न नहीं, तो भगवान गणेश की महिमा बढ़ती चली गई।
सब भगवान श्रीगणेश के पुजारी हो गए। महाराजने कथा में कहा मोबाईल ऐसा दूरभाष है जो बिना मतलब के लोगों को जोड़ देता है, आप जिनको देखना नहीं चाहते वे भी टपक पड़ते हैं, मन घुसता चला जाता है, बुरे में अच्छे में और हम फस जाते हैं। मोबाईल भवसागर है, इसका भी पार नहीं पाया। महेन्द्र कक्कड़, ओमप्रकाश शर्मा ने बताया कि शिव महापुराण कथा की पूर्णाहुति पर महाराजने 11वें ज्योतिर्लिंग में दक्षिण भारत की कथा सुनाई। वहीं कथा के समापन पर रक्षाबंधन का पर्व मनाया तथा महाराजको महिलाओं ने राखी बांधी।