बैंक ने कराया कर्जदार का बीमा, मौत के बाद परिजन पर लोन राशि जमा कराने का बना रहे दबाव

बीमा पॉलिसी का लाभ देने की बजाय परिजन व जमानतदार को भेज दिया नोटिस

देवास, अग्निपथ। होम लोन के बदले बीमा पॉलीसी करवाने के नाम पर हजारों रुपए प्रीमियम लेने के बाद भी बैंक अधिकारियों ने जालसाजी करते हुए कर्जदार की मौत के बाद न तो बीमा दिलाया और न ही कर्ज की राशि का निपटारा किया। इसके उलट मृतक की पत्नी और जमानतदार को परेशान किया जा रहा है। मामले में जमानतदार ने कलेक्टर सहित कोर्ट की शरण ली है। कोर्ट ने पुलिस को जांचकर मामले में प्रतिवेदन करने का आदेश दिया।

फरियादी समीर शर्मा ने बताया कि 1 सितम्बर 2016 को निलेश मुंगी द्वारा आंध्रा बैंक से 18 लाख रूपये का ग्रह ऋण लिया गया था। जिसके लिए समीर शर्मा की जमानत पर बैंक के तत्कालीन मैनेजर द्वारा ऋण स्वीकृति के साथ बीमा करवाये जाने की आवश्यकता दर्शाते हुए 70 हजार 686 रूपये की मोटी रकम वसूली थी। दायित्व बीमा पॉलिसी के नाम पर उक्त रकम बैंक के स्टेटमेंट में भी दर्ज है।

बीमा पॉलिसी के लगभग 48 दिन बाद 22 नवंबर 2017 को कर्जदार नीलेश मुंगी की हार्ट अटैक से मृत्यु हो गयी। जिसकी जानकारी तत्कालीन बैंक मैनेजर को दी गयी और कर्ज के संबंध में कराए गए बीमा के संबंध में कहा तो उन्होंने कुछ औपचारिकता पूरी करवाते हुए कहा कि जब तक ऋण के एवज में की गयी बीमा पॉलिसी की राशि प्राप्त नहीं हो जाती किस्त भरते रहना। जैसे ही बीमा राशि प्राप्त होगी, सम्पूर्ण ऋण की धनराशि आपके खाते में जमा कर दी जाएगी।

बैंक मैनेजर से हितग्राही द्वारा लगातार बीमा पॉलिसी का लाभ दिलाने की मांग की जाती रही, लेकिन वे टालमटोल करते रहे। इसी बीच आंध्रा बैंक का विलय यूनियन बैक ऑफ इंडिया में हो गया। बैंक मैनेजर बदल गये। जिनके द्वारा कर्जदार की बीमा पॉलिसी का लाभ देने की बजाय ऋण चुकता करने अन्यथा नीलामी की कार्यवाही करने के लिये दबाव बना रहे हैं।

जमानतदार को नोटिस

जमानतदार समीर शर्मा के मुताबिक जबकि हम बैंक मैनेजर से लगातार बीमा पॉलिसी के लाभ की मांग यह कहते हुए करते रहे कि वर्तमान में बैंक ही बीमा पॉलिसी के एजेंट के रूप में अधिकृत है। जब हमसे बीमा पॉलिसी के नाम पर 70 हजार 686 रूपये जमा करवाये गये, तभी से हमारी पॉलिसी मान्य हो चुकी है।

इसके बावजूद बैंक मैनेजर हमें बीमा पॉलिसी का लाभ दिलवाने या संबंधित बीमा एजेंसी एवं पॉलिसी से सम्बंधित किसी भी प्रकार के दस्तावेज उपलब्ध करवाने की अपेक्षा ऋण चुकाने एवं नीलामी के लिये ही दबाव बनाते रहे। कर्जदार स्व. नीलेश मुंगी की पत्नी रेखा मुंगी एवं जमानतदार को नोटिस भेजकर प्रताडि़त किया जा रहा है। मामले में कोर्ट ने कोतवाली पुलिस को विस्तृत जांचकर पुलिस प्रतिवेदन प्रस्तुत करने को कहा है।

एडीएम कोर्ट को भी किया जा रहा गुमराह

आंध्रा बैंक मर्ज यूनियन बैंक द्वारा फरियादी समीर शर्मा द्वारा मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष प्रकरण एवं जिला उपभोक्ता फोरम पर परिवाद दायर किये जाने के उपरांत भी नीलामी के लिये दबाव बनाया जा रहा है। बीमा पॉलिसी के दस्तावेजों को छिपाकर माननीय अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी महोदय (एडीएम कोर्ट) में भी प्रकरण पेश किया गया है।

हितग्राही की ओर से एडवोकेट रविन्द्र वशिष्ठ द्वारा उक्त प्रकरण के सम्बन्ध में अतिरिक्त जिला दंडाधिकारी के समक्ष भी जवाब प्रस्तुत किया जाकर न्याय एवं दोषी बैंक मैनेजर के विरूद्ध कार्यवाही की मांग की गयी है।

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