पहलवान पिता ने दंगल फिल्म की तरह बेटियों को किया ट्रेंड
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उच्चशिक्षा मंत्री ने किया स्वागत, फीस माफ की, ईनाम भी दिया
उज्जैन, अग्निपथ। जूनियर वल्र्ड रेसलिंग चैंपियनशिप में कांस्य पदक जीत कर उज्जैन लौटी शहर की बालिका प्रियांशी प्रजापति का रविवार को मध्यप्रदेश कुश्ती संघ द्वारा स्वागत किया गया। अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर जीत दर्ज कराने वाली प्रियांशी उज्जैन की पहली रेसलर है। इस बालिका ने बुल्गारिया में आयोजित हुई रेसलिंग चेंपियनशिप में पूरी दुनिया के सामने अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाकर उज्जैन का नाम रोशन किया है।
प्रियांशी प्रजापत ने जूनियर वल्र्ड चैम्पियनशिप में ब्रॉन्ज(कांस्य) मेडल जीता है। बुल्गारिया में हुई चैम्पियनशिप में इस बालिका ने 30 देशों के खिलाडिय़ों को पछाड़ते हुए देश को मेडल दिलाया है। रविवार को मध्यप्रदेश कुश्ती संघ द्वारा प्रियांशी का स्वागत किया गया। मध्यप्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष और प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व में जिला कुश्ती संघ अध्यक्ष उमेश ठाकुर, गुड्डू पहलवान, सचिव सुरेंद्र यादव, ओलंपियन पहलवान पप्पू यादव सहित कई समाजसेवी और खेल प्रेमी लोगों की मौजूदगी में प्रियांशी और उसके पिता मुकेश प्रजापत का सम्मान हुआ।
कार्यक्रम में मध्यप्रदेश कुश्ती संघ के अध्यक्ष व प्रदेश के उच्च शिक्षा मंत्री डॉ. मोहन यादव ने प्रियांशी के उज्जवल भविष्य की कामना करते हुए उसकी हर संभव मदद करने का आश्वासन दिया है। भोपाल में अध्ययन करने वाली प्रियांशी की फीस माफ की गई है, इसके अलावा उसे 21 हजार रूपए का पुरस्कार भी दिया गया।
एक तरफा रहा ब्रांज के लिए मुकाबला
15 से 21 अगस्त के बीच बुल्गारिया में हुई जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में 30 देशों के खिलाडिय़ों ने भाग लिया था। 50 किलोग्राम कैटेगरी में भारत की ओर से खेल रहीं उज्जैन की प्रियांशी प्रजापत ने अपनी प्रतिद्वंदी को हराकर अंतिम चार में जगह बनाई। इसके बाद उनका मुकाबला मंगोलिया की खिलाड़ी बुंखाबट से हुआ। प्रियांशी ने एक तरफा मुकाबला जीतकर ब्रॉन्ज मेडल अपने नाम किया। जूनियर वर्ल्ड चैम्पियनशिप में जीत दर्ज करने के बाद शनिवार रात को उज्जैन पहुंचीं प्रियांशी का जोरदार स्वागत किया गया।
पिता ने सुनाई संघर्ष की दास्तां
18 साल की प्रियांशी चार भाई-बहनों में तीसरे नंबर की हैं। सबसे बड़ी बहन सृष्टि का ब्रेन हेमरेज से निधन हो चुका है, वो भी रेसलर थीं। दूसरे नंबर की बहन नूपुर भी रेसलर हैं। सभी बहनों में सबसे छोटा भाई भी पहलवानी सीख रहा है, मां हाउस वाइफ हैं। प्रियांशी के पिता मुकेश प्रजापत भी खुद पहलवान रहे हैं। वे 1996-97 तक नेशनल प्लेयर रहे और 11 बार संभाग केसरी का खिताब भी जीत चुके है।
मुकेश प्रजापति का कहना है कि बच्चों को बहुत विपरीत परिस्थिति में पहलवानी कराई है। किस तरह यहां तक बच्चों को लेकर आया हूं, ये मेरा दिल ही जानता है। बस इतना जरूर है कि बाबा महाकाल की नगरी में रहता हूं, इसलिए भूखे उठते तो हैं, लेकिन भूखे सोते नहीं। सारी व्यवस्था प्रभु कर देता है। गुजारा हो जाता है, लेकिन बच्चों को वो डाइट नहीं दे पाता हूं, जो एक रेसलर के लिए जरूरी होती है।
कई उपलब्धियां है प्रियांशी के नाम
सम्मान कार्यक्रम में प्रियांशी ने कहा कि अभी उन्होंने ब्रॉन्ज जीता है, लेकिन मेरा सपना ओलम्पिक में गोल्ड लाने का है। प्रियांशी इससे पहले खेलो इंडिया 2019 में ब्रॉन्ज, खेलो इंडिया 2020 में गोल्ड और खेलो इंडिया 2021 में गोल्ड जीत चुकी हैं।
2018 में सोनीपत में हुई नेशनल चैम्पियनशिप में प्रियांशी ने 2 गोल्ड जीते थे। 2019 एशियन चैम्पियनशिप में हिस्सा ले चुकी हैं। अब प्रियांशी 1 सितंबर से 5 सितंबर तक केरल में होने वाले नेशनल टूर्नामेंट में खेलने की तैयारी कर रही हैं।