जो धोखा करना सीख जाते है जनाब,
हर सख्श उन्हें धोखेबाज़ लगते है।
जिन्दगी की हर मोड़ पर धोखेबाज मिलें,
उनमें पराये कम, अपने ज्यादा मिलें।
जी हां यह पंक्तियां बीते दिनों थांदला की एक भूमि जो कि बदनावर थांदला मार्ग पर स्थित है। जोकि राजस्व रिकार्ड में थांदला ग्रामीण में आती है भूमि का सर्वे नंबर 492/2 रकबा 0.43=हे.वर्ग मीटर है। इसी भूमि को झाबुआ के किसी जितेंद्र पिता जगमाल पटेल ने 31 मार्च 2022 में कलेक्टर को आवेदन क्रमांक 067901084 एप्प 12042378 के माध्यम से मप्र नगर तथा ग्राम निवेश अधिनियम 1973 की धारा 50 के अंतर्गत घोषित नगर विकास स्कीम में स्थित नजूल भूमि लघु एवं कुटीर उद्योग जनजातीय समाज पारंपरिक वस्तुओ का निर्माण एवं विक्रय केंद्र स्थापना हेतु भूमि आवंटन चाहा गया था जिसकी जांच व लिज प्रक्रिया संपन्न करने हेतु कलेक्टर द्वारा थांदला एसडीओ (राजस्व ) को भेज कर कार्यवाही हेतु निर्देशित किया।
एसडीओ अनिल भाना ने कलेक्टर का हवाला देते हुए जांच व उसका प्रतिवेदन तहसीलदार शक्तिसिंह से मांगा गया तहसीलदार ने अपने प्रतिवेदन के द्वितीय पैरा में स्पष्ट उल्लेख किया है कि आवेदन के संबंध में राजस्व निरीक्षक से जांच प्रतिवेदन प्राप्त किया गया।
इस प्रतिवेदन में तहसीलदार ने अंतिम पैरा में यह भी उल्लेख किया की आवेदित भूमि सर्वे नंबर 492/2 रकबा 0.43 हे. 400 वर्ग मीटर मद काबिल काश्त होकर थांदला पेटलावद मार्ग व कृषि भूमि के मध्य होने से उक्त खातेदारों द्वारा कृषि कार्य एवम आने जाने के उपयोग में लिया जाकर राज्य राजमार्ग क्रमांक 18 से लगी होकर आवंटन हेतु प्रस्तावित हो कर आवेदित भूमि बदनावर, पेटलावद, थांदला, लिमडी राज्य राजमार्ग क्रमांक 18 एमपी आरडीसी के अंतर्गत आने से एमपी आरडीसी से अनुमति ली जाना उचित होगा। तहसीलदार ने अंत में पुन: लिखा कि मूल प्रकरण तहसीलदार के प्रतिवेदन, मय राजस्व निरीक्षक के प्रतिवेदन मय पंचनामे के श्रीमान की ओर प्रेषित हे।
जब झाबुआ निवासी जितेंद्र पटेल के आवेदन की जांच हुई और उसमे यह स्पष्ट हो गया की आवेदित भूमि अन्य कृषि भूमियों के मध्य जहा अन्य कृषक आना जाना करते तथा एमपी आरडीसी की अनुमति नहीं मिल सकती थी तो फिर भ्रष्ट भानपुरा द्वारा आवेदन निरस्त करते हुए प्रतिवेदन तुरंत कलेक्टर को भेज कार्यवाही हेतु निवेदित किया जाना था। भ्रष्ट भानपुरा ने तहसीलदार का प्रतिवेदन जोकि 26 अप्रैल 2022 में मिला गया तो उसे दो महीने तक कार्यालय में क्यों पटक रखा।
पूरे मामले के बने अलग अलग प्रतिवेदन जिसमे राजस्व निरीक्षक, तहसीलदार, एसडीओ के शामिल है पटवारी शब्द का कही भी उल्लेख नहीं ह,ै बावजूद उसके कलेक्टर द्वारा पटवारी को बलि का बकरा बनाना किसी बड़े भ्रष्टाचार को इंगित करता है। जब पुन: जांच नजूल अधिकारी धनजी गड़वाल से करवाई तो नजूल अधिकारी ने बिना मौका पंचनामा बनाए और बिना नजरी नक्शा जांच कैेसे कर ली। राजस्व अधिकारी ने अप्रैल माह में मोका जांच कर प्रतिवेदन दिया था जबकि नजूल अधिकारी ने वर्षा ऋतु जिसमें राजस्व नियमानुसार सीमांकन, मौका जांच नही होती है बारिश व अन्य मौसम में मौेका स्थिति पृथक पृथक होती है।
कुल मिला कर अपनी नाक कटने से बचने भ्रष्टों ने पूरी बुराई का मटका पटवारी के माथे फोड़ दिया। भ्रष्ट भानपुरा की करतूत का जब पता लगाया तो हकीकत सामने आई की भानपुरा ने इस जमीन लीज के माध्यम से नगर के बड़े भू माफियाओं से लाखो की सेटिंग की है। इस लिज़ खेल में भ्रष्ट भानपुरा और विपुल का गठजोड़ है। जितेंद्र इन कार्यों का खिलाड़ी माना जाता है झाबुआ में भी इसी जितेंद्र ने नगरपालिका की भूमियों का खेल अपने इष्ट मित्रों के साथ किया हे।
भानपुरा के भ्रष्ट कारनामों का खेल अभी बहुत बड़ा हे। अगले अंक में भ्रष्ट भानपुरा, विपुल की जोड़ी, अपने पदीय अधिकारो का दुरुपयोग कर पंचनामा बदलवाना और लिज़,नामांतरण,के खेल का होगा बड़ा खुलासा। अन्त में हम यहीकहेंगे कि-
हमे तो अपनों ने लूटा गैरो में कहा था दम।
मेरी कश्ती भी डूबी वहा जहा पानी था कम।।
धोखेबाजों का चलन है साहब।
वफ़ा करने वालो की कहाँ कदर है।।