आर्थिक आधार पर आरक्षण सहित तीन मुद्दों पर रथयात्रा देवास पहुंची

देवास, अग्निपथ। आर्थिक आधार पर आरक्षण, सामाजिक समरसता व क्षत्रिय महापुरुषों के इतिहास के संरक्षण को लेकर अखिल भारतीय क्षत्रिय महासभा 1897 द्वारा तीसरी रथ यात्रा कश्मीर से कन्याकुमारी तक निकाली जा रही है। यात्रा शनिवार को अपरान्ह 4 बजे इंदौर से क्षिप्रा पहुंची, यहां पर ग्राम पंचायत लोहार पिपल्या में यात्रा की अगवानी सर्वसमाज द्वारा की गई। इसके बाद यात्रा 100 से अधिक वाहनों के काफिले के साथ देवास शहर में पहुंची। इस दौरान यात्रा का जगह-जगह पुष्पवर्षा कर स्वागत किया गया।

यह यात्रा 9 अगस्त से प्रारंभ होकर 7 अक्टूबर तक चलने वाली रथयात्रा के देवास पहुंचने के बाद स्थानीय मण्डूक पुष्कर धरना स्थल पर सभा का आयोजन किया गया। जहां पर अभा क्षत्रिय महासभा राष्ट्रीय अध्यक्ष महेंद्रसिंह तंवर ने संबोधित करते हुए कहा कि आर्थिक आधार पर आरक्षण की व्यवस्था करने के लिए सिर्फ राजपूत समाज ही नहीं बल्कि सभी समाज प्रयासरत है और हमारी यह तीसरी यात्रा है और इस बार हम आर्थिक आधार पर आरक्षण, सामाजिक समरसता व क्षत्रिय महापुरुषों के इतिहास के संरक्षण को लेकर अपनी मांग रख रहे है और पूरे देश भर में स्थानीय प्रशासन के माध्यम से राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन दिया जा रहा है।

कार्यक्रम को राष्ट्रीय उपाध्यक्ष विजयसिंह परिहार, प्रदेश अध्यक्ष रामवीरसिंह सिकरवार, महिला विंग की प्रदेश अध्यक्ष अंजनासिंह राजावत, युवा विंग के राष्ट्रीय शांतनुसिंह चौहान, युवा विंग के प्रदेशाध्यक्ष नरेंद्रसिंह राजपूत ने कार्यक्रम को संबोधित किया।

इससे पहले स्वागत भाषण जिलाध्यक्ष तंवरसिंह चौहान ने दिया। इनके अलावा मराठा समाज से पूर्व महापौर शरद पाचुनकर, प्रमोद जाधव, सिख समाज से गुरुचरणसिंह सलूजा, रोमी मल्होत्रा, ब्राह्मण समाज से दिनेश मिश्रा, प्रेमनारायण पटेल, रघुवीरसिंह बघेल, अनूपसिंह जादौन, गंगासिंह सोलंकी, ईश्वरसिंह बरखेड़ी, पवनसिंह चंदाना, प्रीतमसिंह सोनकच्छ, कल्पना तंवर, धर्मेंद्रसिंह बैस, पोपसिंह परिहार, अजय तोमर, राजेंद्र ठाकुर, सुरेंद्रसिंह गौड़, नवीन सोलंकी, जीतू रघुवंशी, शैलेंद्र सिंह सिकरवार सहित गुर्जर गौड़ समाज, वैश्य समाज व अन्य समाजजन उपस्थित थे।

कार्यक्रम का संचालन अनिलराजसिंह सिकरवार ने किया एवं आभार भारतसिंह पटलावदा ने माना। सभा क़े बाद यात्रा भोपाल चौराहे पर पहुंची जहाँ पर महाराणा प्रताप की प्रतिमा पर माल्यार्पण के बाद यात्रा उज्जैन क़े लिए रवाना हुई।

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