कांग्रेस प्रत्याशी ने चुनाव परिणामों को कोर्ट में दी चुनौती, 9 को सुनवाई
उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम के महापौर चुनाव की मतगणना और परिणामों के खिलाफ कांग्रेस पार्टी के प्रत्याशी रहे विधायक महेश परमार ने जिला एवं सत्र न्यायालय में याचिका दाखिल की है। परमार की याचिका पर कलेक्टर सह जिला निर्वाचन अधिकारी, महापौर मुकेश टटवाल व अन्य को नोटिस भी जारी हो गए है। परमार का आरोप है कि राज्यशासन के दबाव में स्थानीय अधिकारियों ने चुनाव परिणाम प्रभावित किए है।
महापौर पद के लिए कांग्रेस के प्रत्याशी रहे तराना विधायक महेश परमार द्वारा दायर याचिका में भाजपा प्रत्याशी मुकेश टटवाल और महापौर पद के तीन अन्य प्रत्याशियों को भी प्रतिवादी बनाया गया है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता एड्वोकेट विवेक गुप्ता ने बताया कि कांग्रेस पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी विधायक महेश परमार ने चुनाव याचिका में भाजपा प्रत्याशी टटवाल एवं जिला निर्वाचन अधिकारी पर मिलीभगत कर सत्ता के दबाव में चुनाव परिणाम को बदले जाने की बात कोर्ट के समक्ष रखी है।
विधायक महेश परमार ने कोर्ट में तर्क रखा है कि जिला निर्वाचन अधिकारी ने संविधान की धज्जियां उड़ाई है और चुनाव का मखौल बनाया है। जनता के जनादेश को बदलकर मनमर्जी तरीके से जनता को धोखा देकर चुनाव आयोग के आदेशों की अवहेलना कर कांग्रेस प्रत्याशी को चुनाव हराया गया है।
चुनाव प्रक्रिया पर कांग्रेस की आपत्तियां
- 8 मतदान केंद्रों पर प्रयुक्त ईवीएम मशीन को बदलकर मतगणना में भिन्न मशीनों का प्रयोग किया गया तथा उन मशीनों के वोटों के परिणाम से कांग्रेस महापौर प्रत्याशी महेश परमार को 863 मतों से हराया गया।
- 30 से अधिक प्रारूप 21 (क) जिन पर सभी राजनीतिक दलों के मतगणना के दोरान हस्ताक्षर होते हैं वह प्रारूप बदलकर फर्जी अहस्ताक्षरित प्रारूप तैयार किए गए तथा उसमें वोटों की हेराफेरी की गई।
- कई मतदान केंद्रों के प्रारूप 21 (क) में काट छांट और छेड़छाड़ कर जिला अधिकारी ने दबाव पूर्वक त्रुटिपूर्ण परिणाम पत्रिका बनवाई है।
- अंडर वोट, नो वोट और नोटा के वोट का उल्लेख प्रारूप 21 (क) में भ्रामक रूप से त्रुटिपूर्ण ढंग से किया गया एवं उन मतों में से भाजपा के प्रत्याशी मुकेश टटवाल के मतों में जोडक़र मतगणना एवं चुनाव का परिणाम प्रभावित किए गए।
- जिला निर्वाचन अधिकारी ने प्रेक्षक के सामने आश्वासन देने के बाद भी पुनर्मतगणना नहीं करवाई।
- चुनाव में कार्यरत कर्मचारियों पर दबाव डाला गया एवं त्रुटिपूर्ण मतगणना करवाई गई। स्वयं जिला निर्वाचन अधिकारी द्वारा हस्ताक्षरित मतों के परिणाम की सीट में कुल वोट और जिला निर्वाचन की वेबसाइट पर डाले गए वोट के परिणाम में भी अंतर है।
- जिला निर्वाचन अधिकारी कलेक्टर आशीष सिंह ने पहले 923 वोटों के अंतर से महेश परमार को पराजित होने की उद्घोषणा की, महेश परमार द्वारा आपत्ति लेने पर वह पुन: मतगणना की मांग करने पर मांग को खारिज कर परिणाम बदल कर 736 वोट के अंतर से महेश परमार को पराजित होने का परिणाम दूसरी बार घोषित किया।
- एक मतदान केंद्र की टेबल पर 60 वोट कम किए, अन्य मतदान केंद्र की टेबल पर 30 वोट कम किए, एक केंद्र पर 80 मत भाजपा प्रत्याशी के बढ़ा दिए, दो मतदान केंद्रों की खराब ईवीएम मशीन भी मतगणना में प्रयुक्त कर उसके वोटों को भी मतगणना में शामिल कर लिया गया।
- उक्त मशीन पर 1535 वोट दर्शित थे और पीठासीन की त्रुटिपूर्ण मशीन होने की टीप भी अंकित थी। त्रुटिपूर्ण ईवीएम मशीन से मतगणना करवाई गई।
- मतगणना एजेंटों की किसी आपत्ति पर ध्यान नहीं दिया गया।
- चुनाव के दौरान भी निर्वाचन अधिकारी ने मतदाता पर्ची नहीं बंटने दी, डाक मतपत्र डालने से कर्मचारियों को वंचित किया, कांग्रेस प्रत्याशी को परेशान करने के लिए नोटिस दिए, मुकदमा दायर किया गया।
(जैसा- कांग्रेस प्रवक्ता विवेक गुप्ता ने अग्निपथ को बताया)
याचिका के साथ की गई ये दो मांग
विधायक महेश परमार द्वारा याचिका के समर्थन में 250 से ज्यादा दस्तावेजी साक्ष्य प्रस्तुत किए गए हैं। याचिका में कोर्ट की निगरानी में पुन: मतगणना की मांग की गई है। इसके साथ ही मतगणना का सत्य परिणाम घोषित कर कांग्रेस प्रत्याशी महेश परमार को विजेता घोषित करने की मांग की गई है। इस मामले में न्यायालय में अगली सुनवाई 9 सितंबर को होना है।