उज्जैन, अग्निपथ। जीवनदीप सोशल वेलफेयर सोसायटी, युवा उज्जैन जीवनदीप महिलाविंग के संयुक्त तत्वावधान में 307 लोगों द्वारा टीका लगा कर अपने स्वास्थ के प्रति जागरूकता का परिचय दिया।
टीका श्री अवन्ति भवन में प्रात: 10 बजे से सायं 5 बजे तक लगाया गया। प्रेरणा स्वरूप ड्रा में 3 बी.पी. इंस्ट्रूमेंट्स, 4 ग्लूकोमीटर, 5 भाप की मशीन, 4 फस्ट एड बॉक्स, 11 थर्मामीटर विजेताओं को वितरित किये गए।
कार्यक्रम के समापन अवसर पर पारस चंद्र जैन विधायक उत्तर एवं समाज के वरिष्ठजन व जीवनदीप परिवार, युवा उज्जैन, जीवनदीप महिला विंग के सक्रिय सदस्य उपस्थित रहे। रजत मेहता, संदीप जैन का विशेष सहयोग रहा।
पुष्पा मिशन में नर्सों ने मनाया ओणम का पर्व, रंगोली सजाई
उज्जैन, अग्निपथ। शहर में गुरूवार को केरल की संस्कृति की झलक देखने को मिली। दक्षिण भारतीय राज्य केरल में मनाए जाने वाले ओणम पर्व का गुरूवार को अंतिम दिन था। देवासरोड स्थित पुष्पा मिशन अस्पताल में केरल के मूल निवासी नर्सिंग स्टाफ ने परपंरागत गीत गाकर नृत्य किया, रांगोली सजाई और परंपरागत व्यंजन बनाए। इसके साथ ही पूरे नर्सिंग स्टाफ ने उज्जैन शहरवासियों को अपने तरीके से ओणम पर्व की शुभकामनाएं दी।
मिशनरी द्वारा संचालित पुष्पा मिशन अस्पताल का नजारा गुरूवार की सुबह से अलग ही था। अमूमन मरीजों और उनके परिजनों से भरे रहने वाले अस्पताल में गुरूवार की सुबह फूलों की आकर्षक रांगोली सजाई गई थी। हमेशा सफेद रंग की यूनिफार्म में रहने वाले नर्सिंग स्टाफ ने रंग-बिरगी आकर्षक परंपरागत वेषभूषा धारण की हुई थी। पुष्पा मिशन अस्पताल में नर्सेस ने मिलकर ओणम का त्योहार मनाया।
बुधवार शाम भी सभी नर्सेस ने मिलकर स्पून रेस, ब्रिक्स रेस सहित कई प्रतियोगिताएं आयोजित की। एक विशेष तरह का नृत्य भी किया गया। सुबह पुष्पा मिशन अस्पताल की सभी नर्सेस ने मिलकर ओणम के उपलक्ष्य में अस्पताल परिसर में ही सुंदर रंगोली भी बनाई। पुष्पा मिशन अस्पताल के डायरेक्टर फादर एंटोनी ने ओणम त्योहार के अवसर पर शहर वासियों को बधाई दी और समाज में एक साथ मिलकर रहने का संदेश भी दिया।
गौरतलब है कि केरल में इन दिनों ओणम पर्व की धूम है। 10 दिनों तक चलने वाला ये पर्व केरल के लोगों के लिए बहुत ही खास होता है। 23 सितंबर से शुरू हुआ ओणम पर्व 8 सितंबर को समाप्त हुआ। ओणम के पहले दिन को अथम कहा जाता है वहीं अंतिम दिन को थिरुओनम। पर्व के दौरान घरों में तरह-तरह के पकवान बनाए जाते हैं, नृत्य और गाना-बजाना होता है। राजा बलि का स्वागत करने के लिए घरों को रंग-बिरंगे फूलों से सजाया जाता है।
ओणम के दौरान कुछ रीति-रिवाजों को लोग सालों से फॉलो कर रहे हैं जिसमें से एक है रंगोली बनाना। ओणम के पहले दिन से ही घरों में लोग फूलों की रंगोली बनाते हैं।