6 महीने में कराना थी पानी की जांच, होटल वालों ने नहीं कराई

गऊघाट वाटर प्लांट का निरीक्षण करने पहुंचे महापौर, जलसंसाधन प्रभारी

उज्जैन, अग्निपथ। महापौर मुकेश टटवाल ने मंगलवार को जल संसाधन कार्य प्रभारी शिवेंद्र तिवारी लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी अधिकारियों (पीएचई) के साथ गऊघाट स्थित वाटर ट्रीटमेंट प्लांट का निरीक्षण किया है। साल 1952 में बने इस जल संयंत्र भवन की हालत फिलहाल काफी खस्ता है। निरीक्षण के दौरान महापौर को पता चला कि शहर की सभी बड़ी होटल्स को हर 6 महीने में पीएचई की लैब में पानी की टेस्टिंग कराना अनिवार्य है, महापौर ने रिकार्ड तलब किया तो पता चला कि शहर की अधिकांश होटल्स द्वारा इस नियम का पालन ही नहीं किया जा रहा है।

महापौर ने पीएचई अधिकारियों को निर्देशित किया है कि जिन होटल्स में पानी की नियमित जांच नहीं हो रही है, उनके के खिलाफ कार्यवाही की जाए।

गऊघाट फिल्टर प्लांट के निरीक्षण के दौरान महापौर को प्लांट पर संसाधनों की खासी कमी नजर आई। प्लांट की पैनल, मोटर्स सहित अन्य मशीनों का लंबे वक्त से मैंटेनेंस ही नहीं हुआ है। प्लांट के प्रभारी सहायक यंत्री मनोज खरात से महापौर ने इस बारे में सवाल किया तो उनका जवाब था कि हमारे पास मेंटेनेंस का मद ही नहीं है।

कोविड काल के दौरान पिछले लगभग 2 साल से गऊघाट प्लांट पर मेंटेनेंस का कोई काम ही नहीं हुआ है। निगम अधिकारियों ने प्रशासक कार्यकाल में जो बजट बनाया, उसमें भी प्लांट के सुदृढ़ीकरण का कोई बजट ही नहीं रखा गया। प्लांट पर पदस्थ केमिस्ट हीरालाल मोरी ने महापौर को बताया कि प्रत्येक 6 महीने में एक बार शहर की सभी होटल को अपने पानी की टेस्टिंग करवाना अनिवार्य है।

महापौर ने रिकॉर्ड निकलवाए तो पता चला कि शहर के कई बड़ी होटलों के नाम इसमें से नदारद थे। महापौर ने इस पर नाराजगी जताई, उन्होंने संबंधित अधिकारियों को मौके पर ही फटकार लगाई, कहा- पानी का रूटीन टेस्ट नहीं कराने वाली होटलों के खिलाफ उचित कार्रवाई कर उनके रजिस्ट्रेशन निरस्त करे। प्लांट प्रभारी मनोज खरात ने बताया कि कई पंप खराब होने की स्थिति में है। जैसे तैसे उनसे काम लिया जा रहा है। पंप और मशीनें सही तरह से काम नहीं कर रही हैं।

2 साल में देखने ही नहीं गए बड़े अधिकारी

गऊघाट फिल्टर प्लांट को नगर निगम के बड़े अधिकारियों ने पूरी तरह से पीएचई अधिकारियों के सुपूर्द ही कर रखा है। पिछले 2 साल में निगम आयुक्त या अपर आयुक्त स्तर के अधिकारियों ने कभी बारिकी से प्लांट का निरीक्षण ही नहीं किया, यहां की जरूरतों को कभी समझा ही नहीं। यहीं वजह है कि प्रशासक कार्यकाल में बने बजट में गऊघाट प्लांट के लिए कोई मद ही नहीं रखा गया था।

निचले स्तर के अधिकारियों की तरफ से जब भी प्लांट के मेंटेनेंस के लिए धनराशि मांगी गई, उनकी मांग पर ध्यान ही नहीं दिया गया, यहां केवल छुटपुट काम ही होते रहे।

सदावल में खर्च ज्यादा, आय शून्य

मंगलवार को महापौर मुकेश टटवाल, पीएचई प्रभारी शिवेंद्र तिवारी व महापौर परिषद के अन्य सदस्यों ने सदावल स्थित सीवरेज ट्रीटमेंट प्लांट का भी निरीक्षण किया। मंगलवार शाम महापौर यहां पहुंचे थे। सदावल ट्रीटमेंट प्लांट पर भी कई सारी अव्यवस्थाएं देखने को मिली। खास बात यह सामने आई कि इस प्लांट को सुचारू रखने के लिए सालभल नगर निगम यहां धनराशि तो खर्च करती है लेकिन प्लांट से नगर निगम को आय एक रूपए की भी नहीं है। महापौर ने निगम अधिकारियों को प्लांट के जरिए निगम की आय बढ़ाने की योजना तैयार करने को कहा है।

Next Post

कार्यपरिषद की बैठक में आदिवासी महिला अधिकारी का अपमान..!

Tue Sep 13 , 2022
कुलपति, राज्यपाल सहित कई जगहों पर उप कुलसचिव ने भेजे शिकायती पत्र उज्जैन, अग्निपथ। विक्रम विश्वविद्यालय की कार्यपरिषद की बैठक में 3 दिन पहले हुआ एक घटनाक्रम एकाएक चर्चाओं में आ गया है। कार्यपरिषद की बैठक में विक्रम विवि की उपकुलसचिव से परिषद सदस्यों ने एक मामले में सवाल-जवाब किए […]