उज्जैन, अग्निपथ। आगर रोड पर सामाजिक न्याय परिसर में हर साल लगने वाले वुलन मार्केट के लिए जमीन का आवंटन विवादों में पड़ गया है। मार्केट के 20 से ज्यादा दुकानदारों ने आरोप लगाया है कि उनके अपने अध्यक्ष ने ही उनके साथ धोखा किया है और पूरे मार्केट की जमीन अपने नाम से आवंटित करवा ली है। मंगलवार को यह मामला कलेक्टर तक भी पहुंचा, कलेक्टर ने एसडीएम को मामले की जांच के निर्देश दिए है।
आगर रोड पर सामाजिक न्याय परिसर में हर साल उज्जैन के स्थानीय व्यापारियों द्वारा अवंतिका वुलन मार्केट लगाया जाता है। इनकी एसोसिएशन के सदस्य नगर निगम से अपने पूरे मार्केट के लिए सामाजिक न्याय परिसर से जगह आवंटित कराते है और इसके बाद बराबर हिस्सों में अपनी दुकाने लगाते है। पूरे सर्दी के सीजन में इनकी दुकानें लगी रहती है।
इस बार व्यापारियों के साथ धोखा हो गया। अवंतिका वुलन मार्केट के नाम से व्यापारियों के अध्यक्ष राममोहन पांडेय और देवेंद्र पांडे ने परवारे जमीन का आवंटन करवा लिया। व्यापारियों का कहना है कि हमने राम मोहन पांडेय और देवेद्र पांडेय को अपना मुखिया तय किया था। उन्होंने बाले-बाले ही अपने नाम से समूची जमीन भी आवंटित करने की गुहार की है ताकि वे इसकी कालाबाजारी कर सके।
अवंतिका वूलन मार्केट के 20 व्यापारी मंगलवार को जनसुनवाई में कलेक्टर आशीष सिंह के पास पहुंचे। इन्होंने कलेक्टर से सभी व्यापारियों को आवंटित भूमि पर समान अधिकार दिलवाने की मांग रखी। कलेक्टर ने एसडीएम उज्जैन शहर को मामले की पड़ताल के निर्देश दिए है।
भू-अधिकार पत्र मांगने पहुंचे ग्रामीण
इंदौर रोड स्थित मालनवासा, शक्करवासा और हरियाखेड़ी गांव के कई सारे ग्रामीण मंगलवार को कलेक्टर कार्यालय पर पहुंचे। ग्रामीणों ने कलेक्टर से भू-अधिकार पत्र प्रदान करने की मांग की। ग्रामीणों का आरोप है कि सरकार सभी को अधिकार पत्र देने में पीछे नहीं है लेकिन स्थानीय स्तर पर एसडीएम ने मामले को लटका रखा है।
इंदौर रोड स्थित गांव मालनवासा, शक्करवासा और हरियाखेड़ी अब नगर निगम सीमा क्षेत्र के गांव हो गए है। इन गांवों में रहने वाले 200 से ज्यादा परिवारों को शासन की योजना के तहत भू-अधिकार पत्र या पट्टे सौंपे जाने है। गांव की शासकीय जमीन का सीमांकन होना है। एसडीएम जगदीश मेहरे द्वारा गोयलाखुर्द गांव में जमीन का सीमांकन कर ग्रामीणों को भू-अधिकार पत्र सौंप दिए गए है लेकिन मालनवासा, शक्करवासा और हरियाखेड़ी गांव के लोगों को वंचित रखा गया है।
ग्रामीण राजेश सोलंकी ने बताया कि एसडीएम जगदीश मेहरा के पास ग्रामीणों को भू- अधिकार पत्र से संबंधित कामकाज काफी समय से लंबित है। गांवो की नपती एवं सीमांकन नहीं हो पाने की वजह से ग्रामीण मूलभूत सुविधाओं से वंचित हो रहे है और शासन की योजनाओं के लाभ से भी ग्रामवासियों को वंचित होना पड़ रहा है। कलेक्टर ने ग्रामीणों को भू-अधिकार पत्र सौंपने की कार्यवाही तेजी से निपटाने के लिए एसडीएम को निर्देशित किया है।