नागदा, अग्निपथ। नागदा स्थित ग्रेसिम उद्योग प्रबंधन द्वारा बनाया गया करोड़ों का जीरो डिस्चार्ज प्लांट शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर बनाया गया है। यह संय़त्र एनजीटी यानी कि, नेशलन ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश पर जल प्रदूषण को रोकने के लिए बनाया गया है।
सूचना का अधिकार में गुरुवार को प्राप्त दस्तावेजों में यह बात उजागर हुई। संयत्र सर्वे क्रमांक 321 रकबा 0 .0420 हैक्टेर पर बनाया गया है। यह भूमि शासकीय है। मामले को लेकर एसडीएम आशुतोष गोस्वामी ने उच्च अधिकारियों को अवगत कराया है।
कैसे हुआ मामला उजागर
आरटीआई कार्यकर्ता कैलाश सनोलिया ने लोकसूचना अधिकारी अनुविभागीय अधिकारी राजस्व कार्यालय नागदा में बंद भारत कामर्स उद्योग से जुड़ी भूमि की एक शिकायत की थी। जिसमें यह बताया गया थाकि बंद भारत कामर्स उद्योग की करोड़ों की भूमि पर शासन का कब्जा है। मप्र शासन की तत्कालीन तहसीलदार ममता पटेल ने इस भूमि पर वर्ष 2014 में कब्जा कर कलेक्टर को अवगत कराया है।
इस भूमि पर बनी कोठियों को किराए पर देने का अनुबंध ग्रेसिम के एक उच्च अधिकारी महावीर जैन ने किया है।यह शिकायत मप्र शासन के प्रिंसिपल सेक्रेटरी राजस्व विभाग भोपाल को भी भेजी गई थी। इस शिकायत में किराए पर कोठियों को देने वाले आरोपी अधिकारी जैन पर अपराघिक प्रकरण दर्ज करने की मांग की गई।
शिकायत पर वल्लभ भवन से कलेक्टर उज्जैन से प्रतिवेदन मांगा गया है।
शिकायत के निष्कर्ष पर लगाए गए सूचना अधिकार मैं यह बात सामने आई है कि ग्रेसिम ने शासकीय भूमि पर अतिक्रमण कर अपना संयत्र स्थापित कर लिया। इस शिकायत पर हुई कार्यवाही के बारे में आरटीआई में जानकारी मांगी थी। लोकसूचना अधिकारी आशुतोष गोस्वामी के हस्ताक्षर से आश्चर्यजनक जानकारी सामने आई है।
अधिकारी ने जो जानकारी प्रेषित की है उसमें बताया गया है कि कार्यालय में एक शिकायत प्राप्त हुई थी। जिसमें यह बताया गया था कि बिरलाग्राम में स्थित ग्रेसिम कंपनी ने जीरो डिस्चार्ज प्लांट शासकीय भूमि पर बना लिया हैं।