मृत्युलोक के राजा, भूतभावन बाबा महाकाल के नये आँगन के प्रथम चरण के लिये हिंदुस्तान के पंत प्रधान 11 अक्टूबर को उज्जयिनी पधारने वाले हैं। पूरा नगर उनके आगमन की सूचना को लेकर हर्षित, पुलकित होकर उत्साहित है। सारी व्यवस्थाएँ चाक-चौबंद हो इसलिये मध्यप्रदेश की पूरी सरकार उज्जैन पधार रही है।
मुखिया शिवराज सिंह ने केबिनेट की बैठक भी यहाँ आहूत करने की घोषणा कर प्रशासनिक मशीनरी को ऊर्जा से सराबोर कर दिया है। वैसे भी मुख्यमंत्री ‘शिवराज’ सिंह जी ने इस समय अपना तीसरा नेत्र थोड़ा-थोड़ा खोल रखा है। चाहे डिंडौरी के खाद्य एवं आपूर्ति अधिकारी को सार्वजनिक मंच से हटाने का मामला हो या अलीराजपुर की सभा में कृषि उपसंचालक को फटकार लगाने का हो इन दोनों ही घटनाओं से निकम्मे और जनता के काम ना करने वाले सरकारी अधिकारी-कर्मचारियों में हडक़ंप मचा हुआ है।
प्रदेश के विधानसभा चुनावों में लगभग एक वर्ष का ही समय बचा है ऐसे में प्रदेशवासी व मतदाता भगवान आशुतोष से यही प्रार्थना करते हैं कि ‘शिव’ के तीसरे नेत्र की दग्धा और अधिक तीव्र हो। मध्यप्रदेश में बड़े पदों पर बैठे अधिकारियों का आम नागरिकों के साथ व्यवहार कैसा है यह तो झाबुआ के मदान्ध पुलिस अधीक्षक की बातचीत का आडियो वायरल होने के बाद शिवराज को पता चल ही गया होगा। खैर, छोडिय़े ‘हरि अनंत, हरि कथा अनंता’।
चूँकि पूरी सरकार आज हमारे शहर में है तो हम तो हमारी ही नगरी के भाग्य-दुर्भाग्य की बात कर लें। स्मार्ट सिटी के काम को छोड़ दे तो इस नगर के विकास पर किसकी नजर लग गयी है समझ नहीं आता है। उज्जैन संसदीय क्षेत्र के लोकप्रिय सांसद, प्रदेश के कद्दावर केबीनेट मंत्री मोहन यादव जी, वरिष्ठ और अनुभवी विधायक पारस जी जैन की मौजूदगी के बाद शहर विकास पर ब्रेक लगना समझ से परे है। सबसे पहले हम बात करते हैं हमारे पंत प्रधान माननीय नरेन्द्र मोदी जी के सपनों की जिन्होंने हर गरीब को छत देने का वादा किया था। हमारे शहर में भी मंछामन और कानीपुरा में गरीबों के लिये आवास बनाने का काम शुरू जरूर हुआ पर पूरा नहीं हो पाया।
ब्याज देते देते थक गए, घर नहीं मिला
बात करते हैं मंछामन में बन रही मल्टी का जहाँ पर निम्न आय वर्ग के लिये 288 आवास (ई.डब्ल्यू.एस.) निर्माणाधीन है उनका आवंटन भी हो गया। 3-4 वर्षों से काम चल रहा है न मल्टी बनी ना गरीबों को आवास मिले। थक-हार कर 50 से अधिक हितग्राहियों ने जमा की गयी राशि में 10 प्रतिशत कटवाकर शेष रकम वापस भी ले ली। वह गरीब जमा की गयी राशि का ब्याज देते-देते थक गये। इसी तरह कानीपुरा भी कई वर्षों से निर्माणाधीन ही है। हितग्राहियों ने इधर-उधर से ब्याज पर पैसा लाकर नगर निगम को जमा भी करा दिया परंतु निगम उनको छत नहीं दे पा रही है। गुजरात की ज्योति इंफ्रास्ट्रक्चर कंपनी यह कार्य कर रही थी जिसने कई महीनों से काम बंद कर दिया है।
मार्केट भी बन ही रहे, पूरे नहीं होते
फाजलपुरा का निर्माणाधीन मछली मार्केट बीते कई वर्षों से बंद पड़ा है। दूधतलाई स्थित निर्माणाधीन अनाज मार्केट के 35 व्यापारी लाखों की रकम निगम के खजाने में जमा कर चुके हैं, 4 साल से वह दुकानों पर कब्जे के लिये भटक रहे हैं, कोई निर्णय नहीं है। दौलतगंज स्थित सब्जी मार्केट को निगम द्वारा लगभग दो वर्ष पूर्व जमींदोज कर दिया गया था वह वैसी ही स्थिति में पड़ा है सब्जी वाले और अधिक संख्या में सडक़ पर आकर देवासगेट-महाकाल मार्ग को बाधित कर रहे हैं।
यहां भी विकास पर ब्रेक
नगर का पुराना तरणताल 4 वर्षों से बंद है, छत्रीचौक पानी की जर्जर टंकी के स्थान पर काम्प्लेक्स का कार्य ठंडे बस्ते में, गुरुनानक मार्केट के सामने और स्वर्ग सुंदरम टॉकीज के स्थान पर निर्माणाधीन काम्प्लेक्स का कार्य बंद। कुल मिलाकर विकास कार्यों पर लग गया है।
उज्जैन के नागरिकों ने बड़ी उम्मीद से नगर सरकार का दायित्व भारतीय जनता पार्टी को दिया था ताकि प्रदेश और केन्द्र में भाजपा की सरकार होने का लाभ उज्जैन को मिल सके। नगर सरकार को अस्तित्व में आये लगभग दो माह होने को आये पर अपनी कार्यप्रणाली से नगर शहर के नुमाइंदों ने निराश ही किया।
सबसे ज्यादा आश्चर्य तो तब हुआ जब भाजपा के ही पार्षदों ने नगर के प्रथम नागरिक को शिकायत कर बताया कि निगम के अधिकारी-कर्मचारी हमारी बात ही नहीं सुनते, अब जब पार्षदों की यह हालत है तो आम नागरिक की किया बिसात भोले भाले, सहन, सरल, महापौर जी भी अधिकारियों को नियंत्रण में नहीं कर पा रहे हैं। शायद उनका भी कोई नहीं सुन रहा।
नगर सरकार की इस मरणासन्न अवस्था से नागरिक बहुत निराश है। प्रदेश के मुखिया शिवराज जी से हम यह अनुरोध करते हैं कि वह अपने तीसरे क्षेत्र के खुलने का प्रभाव इदस उज्जैन में भी करें ताकि मृत पड़ी नगर सरकार में ऊर्जा का संचार हो सके।