उज्जैन, अग्निपथ। विक्रम विश्वविद्यालय से होने वाले भुगतान लंबे समय से नहीं होने के कारण विभिन्न सामग्री की सप्लाई करने वाले व्यापारी परेशान हैं। हालत यह है कि बाजार से पैसे लेकर सामग्री प्रदाय करने वाली फर्म ने ईमेल से शिकायत राजभवन तक की है। हालांकि विश्वविद्यालय प्रशासन के जिम्मेदार कार्य परिषद की बैठक में स्वीकृति होने के बाद भुगतान प्रक्रिया होने का हवाला देकर मामला टाल देते हैं।
विक्रम विश्व विद्यालय प्रशासन द्वारा लंबित भुगतान देयकों पर भुगतान नहीं होने से सामग्री प्रदाय करने वाले व्यापारी भी अपने हाथ खींचने लगे हैं। कारण है कि विश्वविद्यालय से होने वाले भुगतान के कई मामलों में तीन से चार महीने होने के बाद भी भुगतान नहीं होने से व्यापारी परेशान हैं। शहर के बाहर की फर्म द्वारा ऑनलाइन निविदा के बाद करीब 17 लाख 50 हजार रुपए के ब्लेजर और ट्रैक सूट सप्लाई किए थे। निविदा की की शर्तों में स्पष्ट था कि सामग्री मिलने के 7 दिन के अंदर फर्म का भुगतान कर दिया जाएगा।
बताया गया कि संबंधित फर्म ने तीन महीने पहले ही सामग्री विश्वविद्यालय के स्टोर विभाग को पहुंचा दी। इसके बाद भुगतान के लिए उसे चक्कर लगाने पड़ रहे हैं। विश्व विद्यालय प्रशासन के अधिकारी संतोष जनक जवाब नहीं दे पा रहे हैं। विक्रम विश्वविद्यालय का निरीक्षण करने के लिए नैक टीम के पांच सदस्यीय दल का दौरा 13 से 15 अक्टूबर तक होना तय हो गया है। नैक टीम के आने के पहले विश्वविद्यालय प्रशासन को विभिन्न अध्ययनशालाओं के लिए करीब 50 लाख रुपए के फर्नीचर व अन्य सामग्री क्रय की जाना थी। बताया यही जा रहा है कि इस कार्य के लिए भी कार्य परिषद की बैठक में स्वीकृति मिलना थी।