मार्ग बदलने की चर्चा के बाद माली समाज उतरा था विरोध में
उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध महाकाल मंदिर से साल में एक बार दशहरा पर्व के दौरान बाबा महाकाल सवारी दशहरा मैदान तक आती है। इस बार प्रधानमंत्री के आगमन को लेकर महाकाल की सवारी को श्रावण-भादौ मास की अंतिम शाही सवारी की तर्ज पर निकालने की तैयारी है। दशहरा मैदान से सवारी के वापस लौटने के दौरान मार्ग बदलने की चर्चा सामने आने के बाद अब माली समाज विरोध में उतरा। लेकिन मंदिर प्रशासन ने सवारी को परंपरागत मार्ग से ही निकाले जाने का निर्णय लिया है।
प्रतिवर्ष महाकालेश्वर मंदिर से दशहरे पर बाबा महाकाल की सवारी शमी पूजन के लिए दशहरा मैदान पहुंचती है। इस बार फ्रीगंज आने वाली सवारी को पीएम मोदी के कार्यक्रम को देखते हुए शाही सवारी की तर्ज पर घुड़सवार दल, पुलिस बैंड, हाथी आदि के साथ ही भजन मंडलियां, झांझ-मंजीरे, महाकाल-लोक की अद्भुद झांकी, मुम्बई की प्रसिद्ध आराध्य ढोल पार्टी, पुणे की नाद ब्रह्म ढोल पार्टी विशेष आकर्षण का केंद्र रहेगी।
वहीं, मंदिर प्रशासन की साथ हुई बैठक में दशहरा मैदान से वापस सवारी जाने के मार्ग को बदलने की चर्चा भी हो चुकी है। परंपरा से सवारी लौटने के दौरान सवारी मालीपुरा होकर जाती है। इस बार सवारी को देवास गेट से इंदौर गेट, गदा पुलिया, हरि फाटक ब्रिज, बेगमबाग वाले मार्ग से वापस ले जाने की चर्चा चलने के बाद माली समाज के प्रतिनिधियों ने विरोध जताया। विरोध के बाद प्रशासन ने परंपरागत मार्ग से ही सवारी निकाले जाने को लेकर निर्णय लिया है। मंदिर के सहायक प्रशासक मूलचंद जूनवाल का कहना है कि परंपरा को तोड़ा नहीं जाएगा। सवारी परंपरागत मार्ग से ही निकाली जाएगी।
वापसी मार्ग भी रहेगा परंपरागत
दशहरे पर आने वाली भगवान महाकाल की सवारी शाम 4 बजे महाकाल मंदिर से शुरू होकर कोट मोहल्ला, गुदरी चौराहा, पटनी बाजार, गोपाल मंदिर, छत्रीचौक, सतीगेट, कंठाल, नईसडक़, दौलतगंज, मालीपुरा, देवास गेट, चामुंडा चौराहा, फ्रीगंज ब्रिज, पुलिस कंट्रोल रूम होते हुए दशहरा मैदान पहुंचेगी। यहां भगवान महाकाल तथा शमी वृक्ष का पूजन होगा। इसके बाद सवारी पुन: मंदिर की ओर रवाना होगी। इस बार लौटते समय दशहरा मैदान से इंदिरा गांधी प्रतिमा से होते हुए फ्रीगंज ब्रिज, संख्याराजे धर्मशाला, देवासगेट, मालीपुरा, दौलतगंज चौराहा, तोपखाना, कोट मोहल्ला से महाकालेश्वर मंदिर में प्रवेश करेगी।
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