उज्जैन निगम आयुक्त को भारी पड़ी मंत्री की नाराजगी

उज्जैन, अग्निपथ। प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी के उज्जैन आगमन से पहले उज्जैन में दूसरा विकेट भी चटक गया है। नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता को राज्यशासन ने आयुक्त के पद से हटा दिया है। महज एक साल की अवधि तक नगर निगम आयुक्त रहे अंशुल गुप्ता की कार्यप्रणाली से जनप्रतिनिधियों और नगर निगम कर्मचारियों में खासी नाराजगी थी। गुरूवार दोपहर उन्हें पद से हटाए जाने के आदेश जारी किए गए।

उज्जैन नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता 2016 बैच के आईएएस हैं। उज्जैन से पहले वे उमरिया में जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी के पद पर पदस्थ थे। इसके पहले इंदौर के महू और धार जिले के कुक्षी में एसडीएम रह चुके थे। सागर जिला पंचायत में मुख्य कार्यपालन अधिकारी के रूप में उनकी कार्यप्रणाली पर भी कर्मचारियों में खासी नाराजगी थी।

अंशुल गुप्ता को हटाने के लिए आंदोलन भी किया गया था। कमोबेश यहीं स्थिति उज्जैन नगर निगम में भी बनने जा रही थी। गुरुवार को सामान्य प्रशासन विभाग के उपसचिव कार्मिक द्वारा जारी किए गए आदेश के मुताबिक अंशुल गुप्ता को उज्जैन से हटाकर उप सचिव म.प्र. शासन के पद पदस्थ किया गया है। यह विशुद्ध रूप से लूप लाईन है।

सोनी के पास चौगुनी जिम्मेदारी

नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता को पद से हटाए जाने के तत्काल बाद ही सामान्य प्रशासन विभाग से एक नया आदेश भी जारी हो गया। नए नगर निगम आयुक्त की नियुक्ति होने तक महाकालेश्वर मंदिर समिति प्रशासक संदीप सोनी को निगम आयुक्त का चार्ज सौंपा गया है। 2008 बैच के राज्यप्रशासनिक सेवा के अधिकारी संदीप सोनी के पास महाकालेश्वर मंदिर समिति प्रशासक पद के अलावा उज्जैन विकास प्राधिकरण के सीईओ का चार्ज भी रहेगा। नगर निगम आयुक्त के प्रभारी होने के नाते स्मार्ट सिटी कंपनी के निदेशक का पद भी उन्हीं के पास रहेगा।

टालने की वृत्ति पड़ी भारी

नगर निगम में जब कुछ न करना हो तो चीजों को टाल दो, पिछले एक साल से चल रही यह वृत्ति ही आयुक्त अंशुल गुप्ता को भारी पड़ी है। बुधवार को उज्जैन में नगरीय विकास एवं आवास मंत्री भूपेंद्र सिंह ने अंशुल गुप्ता से घाटो की सफाई पर जवाब तलब किया तो आयुक्त ने उन्हें भी टका सा जवाब दे दिया- सर जल्द हो जाएगा, मैं दिखवाता हूं। यह टालू जवाब नगरीय विकास मंत्री को खासा खटक गया था। रही सही कसर, सांसद ने भी अपनी नाराजगी जताकर पूरी कर दी।

ये शर्मनाक हालात है

अमूमन जब भी किसी बड़े अधिकारी का तबादला होता है तो उस अधिकारी से सीधे जुड़े अधिनस्थों के बीच गम का माहौल रहता है। यहां ठीक उलट हुआ। आयुक्त को पद से हटाने की सूचना मिलने के बाद नगर निगम कार्यालय के बाहर ढोल बजवाए गए, पटाखे चलाए गए। किसी भी अधिकारी के लिए ये शर्मनाक हालात है।

नगर निगम में ढोल बजे

नगर निगम आयुक्त अंशुल गुप्ता और महाकालेश्वर मंदिर समिति प्रशासक गणेश धाकड़ दो अधिकारियों पर अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के आगमन की तैयारियों में लापरवाही की गाज गिर चुकी है। खास बात यह है कि अंशुल गुप्ता और गणेश धाकड़ दोनों ही एक ही सिक्के के दो पहलू माने जा रहे थे। दोनों के बीच खासा तालमेल था, यहीं वजह है कि महाकाल मंदिर समिति में होने के बावजूद गणेश धाकड़ की नगर निगम पर भी पकड़ बनी हुई थी।

जूनियर बने साहब, सीनियर अधीनस्थ

नगर निगम आयुक्त का प्रभार महाकालेश्वर मंदिर समिति प्रशासन संदीप सोनी को सौंपे जाने के बाद नगर निगम में अजीब स्थिति बन गई है। संदीप सोनी 2008 बैच के राज्यप्रशासनिक सेवा के अधिकारी है। उनसे एक साल सीनियर यानि 2007 बैच के राज्य प्रशासनिक सेवा के अधिकारी आशीष पाठक के पास ननि में अपर आयुक्त पद का प्रभार है। संदीप सोनी के पास अस्थाई प्रभार भले ही है लेकिन नगर निगम में फिलहाल अपने से सीनियर अधिकारी के भी साहब होंगे।

Next Post

महाकाल मय शिव सरकार, सीएम-मंत्रियों ने बदली डीपी

Thu Oct 6 , 2022
उज्जैन, अग्निपथ। शहर में 856 करोड़ रुपए की लागत से बने श्री महाकाल लोक का लोकार्पण 11 अक्टूबर को प्रधानमंत्री मोदी करेंगे। शिवराज सरकार इस समारोह को उत्सव के रूप में मना रही है। गुरुवार को इसका एक उदाहरण भी देखने को मिला। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने अपने सोशल […]