एक दिन के लिए बंद रखे स्कूल, डीपीसी को सौंपा ज्ञापन
उज्जैन, अग्निपथ। निजी स्कूलों के संचालकों ने कक्षा पांचवी और आठवीं की परीक्षाओं को इसी शेक्षणिक सत्र से बोर्ड पेटर्न से कराए जाने के फैसले का विरोध किया है। स्कूल संचालकों का कहना है कि बीच सत्र में परीक्षाओं का बोर्ड पैटर्न से आयोजन कराना अव्यवहारिक कदम है, इसे अगले सत्र से लागू किया जाना चाहिए। राज्य सरकार के आदेश के विरोध में मंगलवार को एक दिन के लिए निजी स्कूल बंद रखे गए।
मंगलवार को अशासकीय शाला संगठन द्वारा प्रदेशव्यापी आंदोलन के तहत मंगलवार को शहर व ग्रामीण क्षेत्रों के सभी निजी स्कूल बंद रखे गए। संगठन के प्रदेश समन्वयक शिवनारायण शर्मा, संभागीय अध्यक्ष एस.एन. शर्मा व शहर अध्यक्ष दिनेश राज ने बताया कि आरटीआई के बच्चों की फीस प्रतिपूर्ति का कार्य 2020-21 और 21-22 दो सत्रों के लिए कराया गया है, तीन साल से प्रतिपूर्ति की राशि नहीं दी गई है। शासन द्वारा दो सत्रों की फीस प्रतिपूर्ति 14 अक्टूबर 2022 तक कराने का आश्वासन दिया गया था लेकिन यह आश्वासन पूरा नहीं किया जा सका है। निजी स्कूल संचालकों का यह भी कहना है कि नवीन शिक्षा सत्र के प्रारंभ में ही किसी प्रकार के नियम निर्देश जारी करना उचित रहता है। सत्र आंरभ होने के 3 महीने के बाद अब कक्षा पांचवी और आठवीं की परीक्षाएं बोर्ड पेटर्न से कराने का आदेश आयुक्त द्वारा जारी किया गया है। इससे बच्चों पर मानसिक दबाव बढ़ेगा, यह गैर व्यवहारिक निर्णय है लिहाजा फैसले को रद्द किया जाना चाहिए और अगले वर्ष से बोर्ड परीक्षा लागू की जाना चाहिए।
आंदोलन को सफल बनाने में विवेक शर्मा, करण दायमा, सुशील पटेल, पंकज भटनागर, सुभाष त्रिपाठी, कमलेश जाटवा, सुनील भदौरिया, शेलेंद्र पाल, मनोज व्यास, परमानंद शर्मा, विवेक शर्मा, महेश व्यास, एन.एस. पंवार, रामचंद्र एकल, संजय मारोठिया, सचिन सिन्हा, गौरव शर्मा आदी की अहम भूमिका रही।
डीपीसी को सौंपा ज्ञापन
जिला शिक्षा अधिकारी के कार्यालय पर मंगलवार की दोपहर सोसायटी फॉर प्राइवेट स्कूल डायरेक्टर्स के सदस्यों ने भी मुख्यमंत्री के नाम ज्ञापन सौंपा। यहां जिला शिक्षा अधिकारी आनंद शर्मा मौजूद नहीं थे लिहाजा जिला परियोजना समन्वयक गिरीश तिवारी को यह ज्ञापन सौंपा गया।