खुद की उपस्थिति प्रमाणित करने के चक्कर में गले पड़ी मुसीबत
उज्जैन, अग्निपथ। नगर निगम के उद्यान विभाग में पर्यवेक्षक के रूप में पदस्थ एक कर्मचारी को ज्यादा समझदारी उल्टे गले पड़ गई है। इस कर्मचारी ने खुद की उपस्थिति प्रमाणित करने के चक्कर में कार्यपालन यंत्री के ही हस्ताक्षर कर डाले। कागज जब लेखा विभाग में पहुंचा तो सारा राज खुल गया। जिन कार्यपालन यंत्री के फर्जी हस्ताक्षर थे, उन्होंने ननि आयुक्त को लिखित में शिकायत कर डाली। फर्जी हस्ताक्षर के इस मामले में बाबू के खिलाफ एफआईआर तक दर्ज करवाई जा सकती है।
शुक्रवार को नगर निगम में सामने आया फर्जी हस्ताक्षर का यह मामला उद्यान विभाग के पर्यवेक्षक मुकेश अजमेरी से जुड़ा है। मुकेश अजमेरी पूर्व में भी फर्जी हस्ताक्षर के मामले में सेवा से पृथक किया जा चुका है। वापस नौकरी ज्वाईन करने के बाद अजमेरी को जोन क्रमांक 6 में पदस्थ कर दिया गया था। कुछ दिन पहले मुकेश अजमेरी को जोन से हटाकर उद्यान विभाग में पर्यवेक्षक बनाया गया है। यहां अजमेरी ने आमद ही नहीं दी। आमद नहीं देने के बावजूद तनख्वाह निकलवाना थी लिहाजा उद्यान विभाग के प्रभारी, कार्यपालन यंत्री रहे एल.डी. दोराया के हस्ताक्षर कर 16 अगस्त से 15 सितंबर तक का उपस्थिति प्रमाण पत्र तैयार करवाया और इसे लेखा विभाग में लगा दिया। लेखा विभाग के पास पहले से उनकी अनुपस्थिति की जानकारी बनाकर भेजी जा चुकी थी।
नया कागज आने पर लेखा के बाबूओं को शंका हुई तो उन्होंने कार्यपालन यंत्री एल.डी. दोराया से पुष्टि की। दोराया ने साफ मना कर दिया कि ऐसे किसी कागज पर उन्होंने हस्ताक्षर किए ही नहीं है। शुक्रवार को खुद कार्यपालन यंत्री दोराया ने इस मामले में आयुक्त को बाबू मुकेश अजमेरी के खिलाफ शिकायत की है। इस मामले में दैनिक अग्निपथ ने बाबू मुकेश अजमेरी का पक्ष जानने के लिए उनसे संपर्क का प्रयास किया लेकिन संपर्क नहीं हो सका।
फर्जीवाड़े में यहां चूक गए बाबू
उद्यान पर्यवेक्षक मुकेश अजमेरी की पदस्थापना उद्यान में जरूर है लेकिन वे इस विभाग में जाते ही नहीं है। यहीं वजह है कि यहां कब कौन से बदलाव हो गए, इसकी अजमेरी को भनक तक नहीं लगी। उद्यान विभाग के प्रभारी के रूप में कार्यपालन यंत्री एल.डी. दोराया को पूर्व आयुक्त ने 26 जुलाई को ही कार्यमुक्त कर दिया था, इसकी अजमेरी को जानकारी नहीं थी। अजमेरी ने 15 सितंबर तक के उपस्थिति पत्रक पर दोराया के हस्ताक्षर कर डाले, इससे डेढ़ महीने पहले ही यह विभाग दोराया के पास से जा चुका था।
सितंबर में मेरे पास उद्यान का प्रभार ही नहीं था, इसलिए मेरे द्वारा उपस्थिति प्रमाणित करने का प्रश्न ही नहीं उठता। मेरे हस्ताक्षर का दुरूपयोग हुआ है, इसलिए आयुक्त को शिकायत की है। आगे निर्णय वे ही लेंगे।
– एल.डी. दोराया, कार्यपालन यंत्री