अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही 137 वर्षीय काँग्रेस पार्टी का भार अब मजदूर रहे 80 वर्षीय खडग़े के कंधों पर

137 वर्षीय अनुभवी और वृद्ध काँग्रेस को आज 80 वर्षीय वृद्ध और अनुभवी मापन्ना मल्लिकार्जुन खडग़े के रूप में नया अध्यक्ष मिल गया है। 28 दिसंबर 1985 को एक अंग्रेज एलेन ओक्टेवियन ह्यूम (ए.ओ. ह्यूम) जो कि ब्रिटिश कालीन भारत में सिविल सेवा के अधिकारी एवं राजनैतिक सुधारक थे ने दादा भाई नारोजी और दिनशा वाचा के साथ मिलकर भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस की स्थापना की थी। देश के उस समय के एकमात्र राजनैतिक दल ने भारत को अँग्रेजों से मुक्त कराने वाले भारतीयों को एक मंच देने का काम किया था।

लैटिन में काँग्रेस का अर्थ होता है मैत्रीपूर्ण बैठक, शत्रुतापूर्ण मुठभेड़ और सिर्फ काँग्रेस का परिचय है निर्वाचित या नियुक्त प्रतिनिधियों की बैठक। भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में डेढ़ करोड़ से अधिक काँग्रेस पार्टी के सदस्यों और सात करोड़ प्रतिभागियों के रूप में महत्वपूर्ण भूमिका रही है।

देश की आजादी में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के फलस्वरूप ही काँग्रेस ने सन् 1947 से 201९ तक हुए 17 आम चुनावों में 6 में पूर्ण बहुमत हासिल और 4 में सत्तारूढ़ के गठबंधन के साथ 49 वर्षों तक देश की प्रधानमंत्री की कुर्सी पर राज किया। भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस ने देश को सात प्रधानमंत्री दिये जिसमें पंडित जवाहरलाल नेहरू (सन् 1947-1964), लाल बहादुर शास्त्री (1964-1966), श्रीमती इंदिरा गाँधी (सन् 1966 से 1977) और (सन् १९८० से १९८४), श्री राजीव गाँधी (सन् १९८४ से १९८९), पी.वी. नरसिंहाराव (सन् 19९१ से 19९६), श्री मनमोहन सिंह (सन् २००४ से २०१४) तक।

137 वर्ष की काँग्रेस ने इतनी बड़ी आयु में अनेक झंझवातों का सामना किया है। दो बार पार्टी का विभाजन, पहला जन्म के 24 वर्ष बाद सन् 1907 में हुए सूरत अधिवेशन के दौरान काँग्रेस पार्टी दो टुकड़ों में बंट गयी थी एक धड़ा उढारपंथियों का एवं दूसरा चरमपंथियों का। फिर 12 नवंबर 1969 को फिर काँग्रेस परिवार टूटा जब स्वर्गीय श्रीमती इंदिरा गाँधी को काँग्रेस से निष्कासित कर दिया गया था। राजनैतिक दल के रूप में अपना स्वर्णिम काल देख चुकी काँग्रेस वर्तमान में संकट के दौर से गुजरी रही है। लोकसभा में तीन-चौथाई बहुमत हासिल करने वाली काँग्रेस 2019 के आम चुनाव में लोकसभा की 543 सीटों में से मात्र 53 पर सिमट गयी और राज्यसभा की 245 सीटों में से मात्र 31 सीटों पर ही काँग्रेस काबिज है।

भारतीय काँग्रेस अध्यक्ष पद को सुशोभित करने वालों में मोतीलाल जी नेहरू, लाला लाजपतराय, पंडित मदन मोहन मालवीय, दादा भाई नारोजी, चितरंजनदास, अब्दुल कलाम आजाद, महात्मा गाँधी, सरोजनी नायडू, पंडित जवाहरलाल नेहरू, वल्लभभाई पटेल, नीलम संजीव रेड्डी, जगजीवनराम, डॉ. शंकर दयाल शर्मा, राजीव गाँधी, पी.वी. नरसिंहाराव, सोनिया गाँधी जैसी महान हस्तियां रह चुकी है। देश में बह रही भारतीय जनता पार्टी की लहर के बीच काँग्रेस अपना अस्तित्व बचाने के लिये प्रयास कर रही है। राहुल गाँधी की भारत जोड़ों यात्रा के सुखद परिणामों के बीच काँग्रेस को उम्मीद की एक किरण नजर आने लगी है।

भाजपा के वंशवाद के आरोप से पाक-साफ होने के लिये गाँधी परिवार इस बार चुनावों से दूर रहा है। 138 करोड़ भारतीयों के सामने काँग्रेस पार्टी ने बकायदा प्रजातांत्रिक तरीके का प्रदर्शन करते हुए चुनाव करवाये जिसमें पूर्व से ही मल्लिकार्जुन खडग़े निर्वाचित घोषित किये गये। कर्नाटक के राजनैतिक हीरो जो कर्नाटकवासियों में सोलिल्लाढ़ा सरदारा (कभी न हारने वाला अजेय नेता) के रूप में लोकप्रिय है अपने 50 वर्षीय राजनैतिक जीवन में 11 चुनाव लड़े हैं जिनमें 10 में उन्होंने जीत हासिल की है।

काँग्रेस पार्टी में दलित समाज में बाबू जगजीवन राम जी के बाद दूसरे ऐसा नेता हैं जो पार्टी की कमान संभालेंगे, कर्नाटक की बात करे तो निजालिगप्पा के बाद भी वह दूसरे ऐसे अध्यक्ष हैं। दक्षिण भारत की बात करें तो पट्टामि सीता रमैया (1948), नीलम संजीव रेड्डी (1960-63), के कामराज (१९६४-६७), एस. निजालिगप्पा (१९६८-६९), पी.वी. नरसिंहाराव (१९९२-१९९६) के बाद वह अध्यक्ष पद को सुशोभित करेंगे। बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर के अनुयायी और बौद्ध धर्म का पालन करने वाले मोपन्ना मल्लिकार्जुन खडग़े का जन्म 21 जुलायी १९४२ को हुआ था।

मात्र 7 वर्ष की आयु में ही साम्प्रदायिक ङ्क्षहसा में अपने पिता मोपन्ना खडग़े और माता सबत्वा को खोने वाले वर्तमान काँग्रेस अध्यक्ष ने हिंसा का शिकार होकर साम्प्रदायिक हिंसा को बहुत नजदीक से देखा है। कर्नाटक के गुलबर्गा से सांसद रह चुके खडग़े नौ बार 1972, 1978, 1983, 1985, 1989, 1994, 1999, 2004, 2008, 2009 लगातार 10 बार विधानसभा चुनाव जीते हैं। 13 मई 1968 को विवाह बंधन में बंधने वाले खडग़े जी के 3 पुत्र और दो पुत्रियां हैं। किताबों, तर्क संगत सोच, कबड्डी, हॉकी, क्रिकेट में रूचि रखने वाले खडग़े स्नातक के साथ वकील भी हैं मराठी, हिंदी, कन्नड़, अँग्रेजी सहित 6 भाषाओं के जानकार हैं।

अपने बुरे समय में मजदूरी कर जीवन यापन कर चुके खडग़े अंधविश्वास, रूढ़ीवादी प्रथाओं के खिलाफ भी लड़ते आये हैं। आने वाले 2024 के लोकसभा चुनावों और 2022 और 2023 के देश के कुछ राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों में देशवासी राजनैतिक दंगल में एक ‘चाय वाले’ और ‘मजदूर’ के नेतृत्व के बीच दिलचस्प मुकाबला देखेंगे।

खडग़े जी राजनीति में चुईंगगम कही जाने वाली भारतीय राष्ट्रीय काँग्रेस का क्या कायाकल्प कर पायेंगे? यह तो भविष्य ही बतायेगा।

– अर्जुन सिंह चंदेल

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