भगवान महाकाल सृष्टि के संचालन का भार पुन: सौंपेगे भगवान विष्णु को
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर मंदिर से कार्तिक-अगहन मास के दौरान भगवान महाकाल पालकी में सवार होकर नगर भ्रमण करेंगे। इस बार पांच सवारियां निकाली जाएंगी। महाकाल मंदिर से पहली सवारी 31 अक्टूबर को निकलेगी। 6 नवंबर को हरिहर मिलन की सवारी मध्य रात्रि में गोपाल मंदिर तक जाएगी।
श्री महाकालेश्वर मंदिर से श्रावण-भादो मास के अलावा कार्तिक-अगहन माह में भी नगर भ्रमण पर निकलते हैं। इस दौरान भगवान चांदी की पालकी में सवार होकर भक्तों को दर्शन देते हैं। मोक्षदायिनी मां शिप्रा तट पर पूजन के बाद सवारी परंपरागत मार्ग से होकर मंदिर पहुंचती है। इस बार भगवान महाकाल की कार्तिक मास की दो और अगहन मास की दो सवारी और एक सवारी हरिहर मिलन की निकलेगी, इस तरह कुल पांच सवारियां निकलेंगी।
मध्य रात्रि में होगा हरि और हर का मिलान
पं. महेश पुजारी ने बताया कि वर्षाकाल के चातुर्मास में भगवान विष्णु सृष्टि के संचालन का भार भगवान शिव के हाथों में सौंपकर राजा बलि के अतिथि बनकर पाताल लोक में वास करते हैं। देवउठनी एकादशी पर देवशक्ति जागृत होती है, इसके चार दिन बाद बैकुंठ चतुर्दशी पर भगवान शिव पुन: सृष्टि के संचालन का भार भगवान विष्णु को सौंप देते हैं। कार्तिक शुक्ल त्रयोदशी पर छह नवंबर को इसी परंपरा का निर्वहन करने के लिए भगवान महाकाल रात 11 बजे चांदी की पालकी में सवार होकर गोपाल मंदिर जाएंगे। यहां हरि-हर का मिलन होगा, इसके बाद रात 2.30 बजे सवारी पुन: महाकाल मंदिर के लिए रवाना होगी।
ग्वालियर पंचांग से मनाए जाते हैं व्रत-त्योहार
श्री महाकालेश्वर मंदिर में सभी व्रत-त्योहार ग्वालियर स्टेट के पंचांग से मनाए जाते हैं। महाराष्ट्रीयन समाज में प्रत्येक माह की शुरुआत शुक्ल पक्ष से मानी जाती है, इसलिए महाकाल मंदिर में कार्तिक-अगहन में भगवान महाकाल की सवारी निकालने का क्रम कार्तिक शुक्ल पक्ष से शुरू होता है।
इस दिन निकलेगी भगवान महाकाल की सवारी
- पहली सवारी- 31 अक्टूबर
- हरि-हर मिलन की सवारी- 6 नवंबर को रात 11 बजे
- दूसरी सवारी- 7 नवंबर
- तीसरी सवारी- 14 नवंबर
- चौथी सवारी- 21 नवंबर