उज्जैन, अग्निपथ। हर साल गोवर्धन पूजा और भाईदूज के दिन पाड़ो की लड़ाई परंपरा रही है। कानून इसे सही नहीं मानता और हर साल आयोजकों के खिलाफ केस दर्ज किए जाते है, इसके बावजूद उज्जैन में पाड़ो की लड़ाई की परंपरा बदस्तूर जारी है। बुधवार को भी भूखी माता रोड़ पर उजडख़ेड़ा मंदिर के नजदीक 8 जोड़ पाड़ो की लड़ाई का आयोजन किया गया। लड़ाई देखने हजारों लोग जुटे।
उजडख़ेडा हनुमान मंदिर के नजदीक बुधवार की दोपहर हजारों लोगों ने पाड़ों की लड़ाई का आनंद लिया। हनुमान मंदिर तक जाने वाली सडक़ पर एक खेत में इस लड़ाई का आयोजन किया गया था। इस साल यहां 8 जोड़ ने मैदान में जोर आजमाईश की। पहली लड़ाई शंकर और भीम नामक पाड़ो के बीच हुई, लड़ाई को देखने के लिए आसपास के क्षेत्रों से हजारों की संख्या में दर्शक भी जमा हुए। लड़ाई के दौरान दोनों ही पाड़ों के मालिक और उनके परिवार पाड़ों को संभालते नजर आए। दोनों पाड़ों में बहुत अधिक संघर्ष होने के बाद उनके पैरों में रस्सी डालकर उन्हें दूर किया गया।
इसी तरह उज्जैन में होने वाली यह परंपरागत पाड़ो की लड़ाई कई राउंड में चलती रही। पाड़ा मालिकों ने पहचान न बताने की शर्त पर जानकारी दी कि कई वर्षों से उनके पूर्वज पाड़ों की लड़ाई का आयोजन करते आ रहे हैं। यह प्रथा कब से है और क्यों शुरू की गई है इसकी जानकारी उन्हें भी नहीं है। हालांकि प्रतिवर्ष पुलिस द्वारा इस तरह के आयोजनों को रोकने की कोशिश भी की जाती है लेकिन फिर भी आयोजन होते है और हजारों की तादाद में दर्शक भी प्रति वर्ष लड़ाई देखने के लिए जमा होते हैं।
पाड़ो की लडाई का आयोजन पशु क्रूरता अधिनियम के अंतर्गत अपराध की श्रेणी में आता है। पिछले वर्षों में कई बार पाड़े लड़वाने वाले लोगों पर पुलिस ने कार्रवाई भी की है। इस वर्ष इतनी बड़ी संख्या में दर्शकों का इक_ा होना और संबंधित थाना पुलिस को इसकी जानकारी ना होना पुलिस की कार्यक्रम प्रणाली पर एक बड़ा प्रश्नचिन्ह लगाता है। गुरूवार को भी शहर के कुछ इलाकों में इस तरह की लड़ाई के आयोजन होंगे।