भारतीय संस्कृति पर लिखेंगे किताब
उज्जैन, अग्निपथ। मूल रूप से हिन्दू परिवार में जन्मे दीपक (ज़ेवियर का भारतीय नाम) भारत मे धार्मिक एवं सामाजिक समरसता के कायल नजऱ आये और इन्ही विचारो के साथ ज़ेवियर ने सात वर्ष पूर्व 14 अक्टूबर 2015 को पुष्कर, राजस्थान से अपनी भारत यात्रा की शुरुआत की।
ज़ेवियर विगत सात दिनों से उज्जैन में दूधतलाई स्थित गुरुद्वारे में ठहरे थे एवं शहर के सभी दर्शनीय स्थल का अवलोकन करते हुए सुरजनगर निवासी जीवनदीप परिवार के श्री महेन्द्र जी नाहर के संपर्क में आये।
नाहर के निवास पर एक मुलाकात के दौरान आपने अपने भारत यात्रा का उद्देश्य बताया कि मै यहाँ भारत की संस्कृति, सनातन, जैन, बौद्ध, सिख आदि धर्मों पर रिसर्च करते हुए एक बुक का प्रकाशन करना चाहता हूँ एवं ज़ेवियर ने पिछले सात वर्षों में 50,000 किलोमीटर की यात्रा करते हुए 12 ज्योतिर्लिंग, गंगोत्री, जमनोत्री, लेह, लद्दाख, कश्मीर, कन्याकुमारी, सिक्किम, चारों-धाम, आदि अनेक ऐतिहासिक स्थानों पर विचरण किया है।
यात्रा के दौरान आपने जाना कि भारत की संस्कृति अनेकता में एकता को दर्शाती है। भारतीय धर्म दर्शन व आध्यात्म ने विश्व के अनेक दार्शनिकों एवं शोधार्थियों को आकर्षित किया है। यात्रा के दौरान अनेक धार्मिक त्यौहारों को भी नजदीक से देखने का सुअवसर प्राप्त हुआ। आप जैन धर्म के सिद्धांतों से काफी प्रभावित हुए।
आपने कई जैन तीर्थ जैसे शत्रुंजय गिरिराज, शंखेश्वर जी,सम्मेद शिखरजी, गिरनार जी, महावीर जी, आदि अनेक तीर्थो की पैदल यात्रा की, उज्जैन में भी सभी प्रमुख मंदिरों में आपने दर्शन वन्दन किये। बडऩगर रोड स्थित अभ्युदय तीर्थ प्रेरक आचार्य श्री मुक्तिसागर सुरिश्वर जी.म.सा. से भी जिज्ञासाओं का समाधान किया, साधु जीवन पर भी चर्चा हुई। आप तिलकेश्वर गौशाला में गोवर्धन पूजा में भी सम्मिलित हुए। आप तीन माह उपरांत अपने देश वापस जावेंगे।