आबादी क्षेत्र व सडक़ किनारे दी खदान की अनुमति … !

इंदला डेम की नहर के नजदीक ब्लास्टिंग से नहर फूटने का अंदेशा

धार, अग्निपथ। जिले में अवैध उत्खनन के यूं तो कई मामले सामने आते रहते है। लेकिन इस बार नियमों से परे जाकर अनुमति देकर खदान देने का मामला सामने आया है। जिले के गंधवानी विधानसभा क्षेत्र स्थित ग्राम टांडा में इंदला बांध की नहर से 200 मीटर दूर ही गिट्टी खदान की अनुमति दे दी गई है। ऐसे में धमाकों से दुर्घटना की आशंका है।

गौण खनिज नियम 1996 के नियम 18-1 के तहत नवीनकरण उत्खनन पट्टा प्राप्त करने के लिए पट्टाधारी राजेंद्र पिता गेंदालाल जैन निवासी टांडा ने आवेदन दिया था। यह पट्टा भूमि ग्राम खरवानी मगदी-कुक्षी के खसरा नंबर 68/1, 122/1/1 रकबा 2 हजार हेक्टेयर है। खदान देने में नियमों की भी अनदेखी खनिज विभाग धार के अधिकारियों द्वारा की गई है। नियमानुसार नदी-तालाब, झील व नहर के आसपास होने पर खदान का संचालन नहीं किया जाता। लेकिन जिस स्थान पर खदान की मंजूरी दी गई है, वहां पर इंदला डेम की नहर जा रही है, जो सिंचाई के लिए बनाई गई है।

नहर से 200 मीटर की दूरी पर ही खदान का संचालन हो रहा है। यहां गिट्टी निकालने के लिए पत्थरों में ब्लास्टिंग भी होती है। ऐसे में नहर के टूटने का खतरा है। साथ ही आबादी क्षेत्र और कृषि भूमि के आसपास खदान के कारण दुर्घटना का भी अंदेशा बना रहेगा।

स्टेट हाईवे का निर्माण जारी

यह खदान जिस प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ से लगकर संचालित हो रही है, वह स्टेट हाईवे में तब्दील होने जा रहा है। जीराबाद से गुजरात तक मप्र सडक़ विकास प्राधिकरण यानी एमपीआरडीसी द्वारा यहां 300 करोड़ की लागत से टूलेन सडक़ का निर्माण करवाया जा रहा है। ऐसे में खदान सडक़ किनारे हाईवे पर संचालित होगी। जिससे ब्लॉस्टिंग के वक्त ट्रैफिक के चलते दुर्घटना का अंदेशा बनने की संभावना रहेगी। खदान का संचालन कुछ माह पूर्व ही शुरू हुआ है। यहां पर अप्रैल में ही खनिज विभाग धार द्वारा जरूरी अनुमतियां जारी की है। अनुमति जारी होते वक्त बुलवाई गई आपत्ति में युकां जिलाध्यक्ष करीम कुरैशी ने भी लिखित आपत्ति दर्ज करवाई थी।

इन बिंदुओं पर थी आपत्ति

  • खदान के उपर से हाईटेंशन बिजली के तार खदान के उपर से निकल रहे है।
  • इंदला डेम की नहर खदान समीप है। ब्लास्टिंग होने से नहर के क्षतिग्रस्त होगी।
  • ग्राम खरवाली-मगदी आबादी क्षेत्र होने से ब्लास्टिंग होने से रहवासियों की जान का खतरा भी बना रहेगा।
  • रहवासियों के मकान भी क्षतिग्रस्त होने की संभावना रहेगी।
  • गिट्टी व धुल से रहवासियों को सांस लेने व फेफड़ों में इंफेक्शन होने की संभावना बनी रहेगी।
  • गिट्टी खदान प्रधानमंत्री ग्राम सडक़ से लगी होने से वहां लोगों की आवाजाही रहती है। ब्लास्टिंग होने से पत्थर उड़ेंगे। इससे दुर्घटना का अंदेशा रहेगा।

धड़ल्ले से बढ़ गई खदानें

धार जिले में बीते 1 साल में खदानों की संख्या एकदम से बड़ी है। इनमें कई तरह की अनुमति के विपरीत खदान आवंटन हुआ है। सूत्रों की माने तो पीथमपुर में भी कई ऐसी खदाने हैं जो नियम विरुद्ध संचालित की जा रही है। खास तौर पर पूर्व माइनिंग अधिकारी एमएस खतेडिय़ा के वरदहस्त से खनन माफिया जिले में बनते हैं। छोटा सा नमूना माइनिंग ऑफिस के पीछे कुछ कदमो की दूरी पर देखने को मिलता है। जहां अनुमति के विपरीत बड़े हिस्से में मुरम की खुदाई कर दी गई है। निजी जमीन पर खनन की अनुमति ली गई थी, सरकारी हिस्से में भी खुदाई हो गई है।

जब इस मामले में खनिज विभाग के जे एस भिड़े से ख़बर को लेकर चर्चा करनी चाहिए तो जिम्मेदार अधिकारी से सम्पर्क नही हो पाया।

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