विधायक को दिलवाना पड़ा निजी अस्पताल से महिला का शव

उज्जैन अग्निपथ। फ्रीगंजं स्थित एक निजी अस्पताल में शनिवार की रात एक ग्रामीण महिला की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। महिला के परिजनों का आरोप है कि अस्पताल प्रबंधन ने अस्पताल के बकाया रूपए नहीं चुका पाने की वजह से महिला का शव सौंपने से इंकार कर दिया था। तराना विधायक ने मामले में हस्तक्षेप किया तब महिला का शव जिला अस्पताल भेजा गया।

कायथा के पास मुल्लुपुरा गांव में रहने वाली 32 साल की महिला कविता पति धर्मेंद्र नवरंग की शनिवार दोपहर में अचानक तबियत बिगड़ गई थी। परिवार के लोग उसे नजदीक के एक अस्पताल लेकर पहुंचे जहां से उसे उज्जैन भेज दिया गया। यहां परिजनों ने उसे फ्रीगंज के एक निजी अस्पताल में भर्ती करवाया। अस्पताल पहुंचते ही प्रबंधन ने महिला के परिजनों से 5 हजार रूपए जमा करवाए।

इसके बाद महिला के परिवार वालों को उसकी गंभीर हालत का हवाला देकर 16 हजार रूपए फिर से लिए और महिला को वेंटिलेटर सपोर्ट पर रख दिया गया। कविता के चाचा नारायण नवरंग का आरोप है कि कविता की दोपहर में ही मौत हो चुकी थी, फिर भी उसे वेंटिलेटर पर रखकर अस्पताल वाले वेंटिलेटर का चार्ज बढ़ाते रहे और दवाएं मंगवाते रहे। उन्होंने कुछ ही देर में 16 हजार रूपए की दवाएं मंगवा ली थी। महिला की मौत के बाद परिजनों से दवाईयों के 16 हजार रूपए और वेंटिलेटर चार्ज के रूप में 22 हजार रूपए मांगे गए।

यह बात तराना विधायक महेश परमार तक पहुंची। विधायक ने फोन पर पाटीदार अस्पताल प्रबंधन से बात की और इसके बाद शव को अस्पताल से रवाना किया गया। महिला की मौत संदिग्ध परिस्थितियों में हुई है और मौत की वजह भी साफ नहीं हो सकी है लिहाजा महिला का शव बजाए परिजनों के सौंपने के पुलिस को सौंपा गया। रविवार सुबह जिला अस्पताल में कविता के शव का पोस्टमार्टम किया गया। फिलहाल माधवनगर पुलिस इस मामले की जांच कर रही है। मृत महिला कविता के दो बेटे हैं, उसका पति धर्मेंद्र मजदूरी का कार्य करता है।

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