पिछले वर्ष की तुलना में पचास प्रतिशत तक बढ़े दाम
उज्जैन अग्निपथ। शहर में कार्तिक मेला शुरु होने के 15 दिन पहले से झूला व्यवसायियों ने संसाधनों के साथ मेला प्रांगण में डेरा डाल दिया था । व्यापारी इस उम्मीद में थें कि इस बार पिछले वर्ष से ज्यादा अच्छी कमाई होगी, परंतु झूला लगाने के लिए दिए जाने वाले शुल्क ने इनके पसीने छुड़ा दिए । इस बार नगर निगम ने झूला लगाने के लिए ली जाने वाली राशि में दुगुना इजाफा किया है । इसके साथ ही झूला-चकरी लगाने की बोली (बीड़) में कड़े प्रावधान रखें थें, जिसमें छोटे-बड़े दोनों व्यापारी परेशान हुए ।
छोटे झूलें-चकरी पिछले वर्ष 1500 से 2000 रूपये की कीमत में लगे थें, परंतु इस वर्ष 1000 रूपये फॉर्म , 7080 रूपये की रसीद काट रहें हैं । इस बार मेले में 18 बड़े झूलें लगेगें जिनमें चार ड्रैगन, दो रेंजर, चार डोरा-डोरा, चार ब्रेक डांस और चार चकरी झूले शामिल हैं । इन्हें लगाने के लिए 28 ब्लॉक तक की जगह लगती हैं । 28 ब्लॉक की कीमत 1 लाख 88 हजार तक है, इसमें आरक्षण और 18 प्रतिशत जीएसटी लगाकर मोटी रकम वसूली जा रही है । व्यापारीयों की मुसीबत झूला सामग्री के परिवहन ने भी बढ़ा दी, क्योंकि उन्हें सामग्री लाने-ले-जाने का 40 से 50 हजार का भाड़ा देना होता है । वह उज्जैन में अपने सारे संसाधन लेकर आए हैं इस कारण अब खाली हाथ वापस लौटने का विकल्प नहीं बचा ।
व्यापारियों से बातचीत में मालूम हुआ कि झूला लगाने के पैसे इतने बढ़ गए है कि व्यक्ति को अपनी लगाई हुई पूंजी भी वापस नहीं मिल पा रही । उन्हें मजबूरी में झूले की टिकट महंगी करनी पड़ी जिस वजह से आम जनता झूले से दूरी बना कर रख सकती है । व्यापारी खेमचंद्र जैन ने बताया कि 25 साल बीत चुके हैं झूले लगाते हुए, परंतु इस बार उज्जैन कार्तिक मेला में महंगाई इतनी बढ़ गई है कि झूले की रोनक खत्म नजर आने लगी है ।
बच्चों को लुभाने के लिए छोटे झूले की संख्या 25 से 30 है और बड़े झूले की संख्या 18 से 22 तक है, परंतु इन सभी की लागत निकालना कठिन लग रहा है । बताया जा रहा है कि रविवार तक पूर्ण रूप मेला शुरू हो जाएगा ।