80 बीघा भूमि पर फिर सरकारी कब्जा

40 करोड़ रुपए की सरकारी जमीन पर कर रखा था अतिक्रमण

उज्जैन,अग्निपथ। प्रशासन ने रविवार को सरकारी जमीन पर अतिक्रमण के मामले में दो बड़ी कार्रवाई की है। हरिफाटक क्षेत्र में 80 बीघा सरकारी जमीन पर किए निर्माण को जमीदोंज कर दिया। वहीं करीब ढाई माह पहले सरकारी घोषित किए मन्नत गार्डन के अवैध निर्माण को भी धाराशायी कर दिया।

हरिफाटक रोड स्थित इंपीरियल होटल के पीछे 16 हेक्टेयर (40) बीघा जमीन पर कई वर्षो से बाबूलाल, गोपाल, मोहन, शैलेंद्र व गुलाबचंद्र यादव ने कब्जा कर रखा था। उन्होंने यहां दो पक्के मकान, दो पशु बाड़े व झोपडिय़ां बना रखी थी। कवेलू कारखाने के नाम से रिकार्ड में सरकारी जमीन निकलने पर तहसीदार पूर्णिमा सिंघी ने अतिक्रमणकर्ताओं को नोटिस देने के बाद 28 अगस्त को बेदखली के आदेश दे दिए थे। रविवार सुबह करीब 9 बजे एडीएम नरेंद्र सूर्यवंशी, एसडीएम आरएम त्रिपाठी, तहसीलदार सिंघी, सीएसपी डा रविंद्र वर्मा फोर्स व नगर निगम गैंग के साथ पहुंचे। यहां प्रशासन ने 8 घंटे की मशक्कत के बाद अवैध निर्माण तोडक़र करीब 40 करोड़ की सरकारी जमीन को मुक्त करवा लिया।

स्टे के नाम पर रोकना चाहते थे कार्रवाई

पुलिस प्रशासन के निर्माण तोडऩे का पता चलते ही अतिक्रमणकर्ता मौके पर पहुंच गए। उन्होंने हाईकोर्ट में केस चलने का हवाला देकर कार्रवाई का विरोध किया। नहीं मानने पर हाईकोर्ट से जमीन पर स्टे होना भी बताया, लेकिन दस्तावेज नहीं दिखा पाए तो प्रशासन ने उनकी बात नहीं मानते हुए कार्रवाई कर दी।

ढाई माह बाद मन्नत का ढांचा धाराशायी

मन्नत मैरिज गार्डन सरकारी जमीन पर बना था। करीब 27.42 करोड़ की जमीन दस्तावेजों में हेराफेरी कर कब्जाने के पुख्ता प्रमाण मिलने पर कलेक्टर आशीष सिंह ने 13 अगस्त को उसे सरकारी घोषित कर दिया था। प्रशासन ने 23 अगस्त को उसका कब्जा लेकर नगर निगम को उपयोग के लिए सौंप भी दिया था, लेकिन निर्माण नहीं हटाया था। रविवार को प्रशासन ने इस निर्माण पर भी जेसीबी चलाकर इसे पूरी तरह मुक्त कर दिया।

यह है मन्नत की कहानी

सरकारी रिकार्डनुसार वर्ष 1950 में जमीन ताकायमी याने कारखाने के लिए आवंटित की गई थी। वर्ष 1963-64 तक रिकार्ड में ताकायमी के तौर पर ही दर्ज थी। इसी के बाद निलोफर पिता रशीद खां व अकबर पिता हकीम उद्दीन ने तत्कालीन अधिकारियों की मिलीभगत से रिकार्ड में जमीन अपने नाम चढ़वा ली और सरकारी जमीन पर मैरिज गार्डन बनाकर व्यवसाय करने लगे थे।

इनका कहना

80 बीघा ताकायमी जमीन पर बनाए मकानों को हटाने की कार्रवाई की है। मन्नत गार्डन पूर्व में ही सरकारी घोषित किया जा चुका है। यहां के निर्माण को भी हटाया गया है।
-नरेंद्र सूर्यवंशी, एडीएम, उज्जैन

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