तीन वर्ष बाद आई ऑडिट की आपत्ति, आक्रोशित कर्मचारी पहुंचे कुलपति के पास
उज्जैन, अग्निपथ। विक्रम विश्वविद्यालय के स्थाई कर्मियों को किए गए भुगतान को तीन साल बाद ऑडिट की आपत्ति के बाद राशि वसूली के निर्देश पर कर्मचारी आक्रोशित हो गए। कर्मचारियों ने कुलपति कुलसचिव से चर्चा कर वस्तुस्थिति से अवगत कराया है। कुलपति ने कहा आदेश की ऑडिट और लेखा से समीक्षा कराएंगे।
विक्रम विश्वविद्यालय के स्थाई कर्मियों को विश्वविद्यालय प्रशासन द्वारा पूर्व में जारी की गई राशि वसूली के निर्देश दिए है। इसके बाद से कर्मचारियों में आक्रोश बना हुआ है। स्थायी कर्मियों को इस राशि का भुगतान वर्ष 2019 में एक मुश्त किया गया था। तीन साल बाद प्रशासन विभाग ने ऑडिट आपत्ति का हवाला देकर भुगतान राशि वसूली करने के निर्देश दिए है। इसी मसले पर कर्मचारी संघ के पदाधिकारियों के साथ स्थायीकर्मी शुक्रवार को कुलपति के पास चर्चा करने पहुंचे थे। इस दौरान चतुर्थ श्रेणी कर्मचारी संघ के पदाधिकारी राजेश ठाकुर, लक्ष्मीनारायण संगत सहित स्थायीकर्मी मौजूद थे।
55 कर्मचारियों को जारी हुई है राशि
शासन के आदेश के बाद जुलाई 2018 में विश्वविद्यालय में देवेभो के रूप में कार्य करते हुए 10 वर्ष पूर्ण करने वाले से करीब 55 देवेभो को स्थायी कर्मी के आदेश हुए थे। इन 55 कर्मियों में कई कर्मचारी तो 15-20 वर्षो से देवेभो के रूप में कार्यरत है। आदेश के बाद 55 स्थायी कर्मी के वेतन निर्धारण कर 1 सितंबर 2016 से मई 2019 तक के वेतन की अंतर राशि का ऑडिट कराने के बाद एक मुश्त भुगतान स्थायी कर्मियों के बैंक खाते में किया गया था। इसमें प्रत्येक कर्मी को करीब 80 से 90 हजार का भुगतान हुआ है।
इसलिए वसूली के निर्देश दिए
इधर विश्वविद्यालय प्रशासन ने कहा कि जनवरी 2021 में शासन ने आदेश जारी किया है, जिसमें स्थायीकर्मियोंं को एरियर राशि नही देने के आदेश दिए है। इस आदेश के बाद विश्वविद्यालय के ऑडिट विभाग ने स्थायीकर्मियों को वर्ष 2019 में जारी की गई राशि को एरियर मानते हुए वसूलने के लिए कहा है। जबकि कर्मचारी नेताओं का कहना है कि स्थायीकर्मियों को दी गई राशि एरियर की राशि नहीं होकर उनके चार वर्ष के वेतन अंतर राशि का भुगतान किया गया था। खास बात यह है कि स्थायीकर्मियों को भूगतान होने के पहले ऑडिट भी कराया गया था।