सडक़ के दोनों ओर खड़े श्रद्धालुओं ने पलक-पावड़े बिछाये, कलेक्टर ने किया सपत्नीक पूजन
उज्जैन, अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर से बाबा महाकाल की अगहन मास की सवारी निकली। सोमवार को राजाधिराज बाबा महाकाल अपनी प्रजा को दर्शन देने चांदी की पालकी सवार होकर मंदिर से रवाना हुए। सडक़ किनारे हजारों श्रद्धालुओं ने पुष्प वर्षा कर जयकारे लगाकर राजाधिराज का स्वागत किया। सवारी को देखने के लिये महाकाल मंदिर के आसपास के क्षेत्रों में भारी भीड़ की हलचल रही।
बाबा महाकाल की अगहन मास की पहली और कार्तिक अगहन मास की तीसरी सवारी सभामंडप से शाम 4 बजे धूमधाम से निकाली गई। सवारी प्रारंभ होने के पहले सभामंडप में विधि विधान से पूजा-अर्चना कलेक्टर आशीष सिंह ने सपत्नीक किया। इस दौरान एसएसपी सत्येंद्र कुमार शुक्ला, एडीएम संतोष टैगोर, मंदिर प्रबंध समिति के प्रशासक संदीप सोनी ने भगवान के मुघौटे का पूजन किया।
सवारी रवाना होने के पहले अधिकारियों ने कंधा से उठाकर पालकी को आगे बढ़ाया। सवारी को मुख्य प्रवेश द्वार पर सशस्त्र पुलिस जवानों ने सलामी दी। सवारी के साथ पुलिस बैंड, घुड़सवार दल, परंपरागत रूप से शामिल होने वाली भजन मंडली के सदस्य भी शामिल थे।
अभिषेक के पालकी रवाना
श्री महाकालेश्वर मंदिर से शाम चार बजे प्रारंभ हुई बाबा महाकाल की सवारी मंदिर से गुदरी चौराहा, बक्षी बाजार, कहारवाडी होकर रामघाट पहुंची। शिप्रा तट पर भगवान की पालकी रखकर पुजारी द्वारा पूजन कर मोक्षदायिनी माँ शिप्रा के जल से अभिषेक किया। पूजन के बाद सवारी रामघाट से गणगौर दरवाजा मोर की धर्मशाला कार्तिक चौक खाती का मंदिर, ढाबा रोड़, छत्री चौक, गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, गुदरी बाजार होकर संध्या आरती के पहले श्री महाकालेश्वर मंदिर वापस मंदिर लौटी।
सवारी मार्ग पर रही भीड़, जयकारे लगाये
सोमवार को भी देश भर के श्रद्धालु भगवान महाकाल के दर्शन को पहुंचे थे। भगवान महाकाल की तीसरी सवारी के दौरान भी सवारी मार्ग पर श्रद्धालुओं की भीड़ रही। श्रद्धालुओं ने बाबा महाकाल के दर्शन कर जय श्री महाकाल के उदघोष लगाये। परंपरागत रूप से सवारी जिस घर के सामने पालकी पूजन के लिये रुका करती थी, उस जगह रुककर पूजन कर पुष्पवर्षा की गई।