सात किलोमीटर लंबे सवारी मार्ग पर छाया भक्ति का उल्लास
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग से सोमवार को कार्तिक-अगहन मास की शाही सवारी निकली। भगवान महाकाल ने चांदी की पालकी में चंद्रमौलेश्वर रूप में सवार होकर नगर भ्रमण किया। करीब सात किलोमीटर लंबे सवारी मार्ग पर तीन घंटे भक्ति का उल्लास छाया रहा। अवंतिकानाथ के जयकारों से धर्मधानी गूंजी। शाही सवारी के दौरान बड़ी संख्या में भक्त भगवान महाकाल के दर्शन करने के लिए शहर पहुंचे। सुबह भस्मारती से लेकर पूरे दिन तक श्रद्धालुओं का सैलाब महाकाल मंदिर में देखा गया।
दोपहर 3.30 बजे मंदिर के सभा मंडप में शासकीय पुजारी पं.घनश्याम शर्मा के आचार्यत्व में भगवान चंद्रमौलेश्वर का पूजन किया गया। पूजन मंदिर प्रशासक संदीप सोनी द्वारा किया गया। इसके बाद पालकी नगर भ्रमण के लिए रवाना हुई। सबसे आगे कर्मचारी राजाधिराज की शाही शान का प्रतीक रजत ध्वज लेकर चल रहे थे। चांदी का यह ध्वज मंदिर का प्रतिनिधि ध्वज कहलाता है। इसके साथ बड़ी संख्या में भजन मंडल, झांझ, डमरू दल भोले की भक्ति में झूमते चल रहे थे।
श्रावण-भादौ मास की शाही सवारी जैसा उल्लास
पहली बार कार्तिक-अगहन मास की आखिरी सवारी में श्रावण-भादौ मास की शाही सवारी जैसा उल्लास नजर आया। निर्धारित मार्गों से होकर सवारी शाम पांच बजे शिप्रा तट पहुंची। यहां पुजारियों ने शिप्रा जल से भगवान महाकाल का अभिषेक-पूजन किया। पश्चात सवारी पारंपरिक मार्ग से होते हुए शाम को पुन: मंदिर पहुंची। भगवान महाकाल की अगली सवारी अब 10 जुलाई को श्रावण मास की प्रथम सवारी के रूप में निकलेगी।
जगह जगह हुई स्वागत आरती
इस बार शाही सवारी का रूट ढाबा रोड से तेलीवाड़ा कंठाल चौराहा होते हुए गोपाल मंदिर, पटनी बाजार, कोट मोहल्ला रही। लिहाजा स्वागत आरती करने के लिये जगह जगह पर लोगों ने पालकी को रोका। यहां पर लोगों ने सवारी पर पुष्पवर्षा कर वातावरण को भक्तिमय कर दिया। बाहर से आये भक्त पालकी की एक झलक पाने के लिये बेताब दिखाई दिये। मंदिर से लेकर पूरे सवारी मार्ग पर सडक़ के दोनों ओर श्रद्धालु एक झलक पाने के लिये बैठे हुए इंतजार करते रहे।