बच्चे के चेहरे पर घने- लंबे बाल लोग कहते हैं बाल हनुमान

जावरा (रतलाम), अग्निपथ। रतलाम जिले के गांव नांदलेटा के 17 वर्षीय ललित पाटीदार को गांव वाले बाल हनुमान मानकर पूजा करते हैं। ऐसा उसके चेहरे पर उग रहे लंबे बालों के कारण है। लोग भले ही युवक की इस परेशानी को आस्था से देख रहे हैं लेकिन चिकित्सा विज्ञान के अनुसार यह एक बीमारी है।

ललित पाटीदार के चेहरे पर बचपन से ही लंबे-लंबे बाल हैं। जिनकी वजह से उसे कई मामलों में परेशानी होती है। इस समस्या से निजात के लिए परिजनों ने कई डॉक्टरों को दिखाया, लेकिन ललित का इलाज नहीं हो पाया। डॉक्टरों ने इसे एक दुर्लभ और लाइलाज बीमारी बताया। चेहरे पर बाल होने की वजह से ललित को खाना खाने में काफी परेशानी होती है। क्योंकि खाना खाते समय बाल उनके मुंह में आ जाते हैं।

21 साल के होने का इंतजार

रतलाम के नांदलेट गांव के किसान बकटलाल पाटीदार के पांच बच्चों में एक ललित चार बहनों के एकलौते भाई हैं। पाटीदार के मुताबिक डॉक्टरों द्वारा उसकी बीमारी का फिलहाल कोई इलाज नहीं बताया गया है। बड़ौदा के एक डॉक्टर ने 21 साल का होने के बाद प्लास्टिक सर्जरी करने की बात कही गई है। इसलिए अब ललित अपने 21 साल का होने का इंतजार कर रहे हैं।

वेयरवोल्फ सिंड्रोम से ग्रसित है ललित

चिकित्सकों के मुताबिक ललित वेयरवोल्फ सिंड्रोम नामक बीमारी से ग्रसित है। इस बीमारी के चलते शरीर के कई हिस्सों पर बाल उग जाते हैं, जो परेशानी का कारण बनते हैंष इन बालों से भोजन करने, सांस लेने आदि में भी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है। इसी प्रकार की दिक्कतों से ललित पाटीदार भी जूझ रहा है। यह एक जन्मजात लाइलाज बीमारी है। जन्म में बाद शरीर पर बालों की लंबाई तेजी से बढऩे लगती है और यह करीब 5 सेमी तक होती है। चेहरा, हाथ और पीठ पर खासतौर पर अधिक बाल दिखाई देते हैं।

डर ने ले लिया आस्था का स्थान

गांव के ही सरकारी स्कूल में 12वीं कक्षा के छात्र ललित पाटीदार के मुताबिक पहले उसके साथ पढऩे वाले बच्चे उससे दूर और भयभीत भी रहते थे। कई लोग तो उस पर पत्थर भी फेक चुके हैं। उसे बंदर और अन्य नामों से भी चिढ़ाया जाता था। बाद में धीरे-धीरे डर का स्थान आस्था ने ले लिया। उसके अनुसार कुछ लोग उसे बाल हनुमान की संज्ञा देकर उसकी पूजा भी कर चुके हैं। इसके अलावा और कुछ लोग उसे जामवंत नाम से भी आदर सम्मान करते थे। जब डर ने आस्था का स्थान ले लिया तो बाद में उसे सामाजिक परेशानियों का सामना नहीं करना पड़ा।

ये भी दिक्कत

सबसे बुरा समय वो था जब मुझे बालों के कारण सांस लेने और दाएं-बाएं देखने में दिक्कत होती थी। कभी-कभी इच्छा होती है मैं भी दूसरे बच्चों जैसा दिखूं, लेकिन कुछ नहीं कर सकता है। इसलिए जैसा हूं वैसे ही खुश हूं।

सीमित इलाज

अमेरिकन जर्नल ऑफ क्लीनिकल डर्मेटोलॉजी के मुताबिक, वेयरवोल्फ सिंड्रोम इलाज के तौर पर महज कुछ थैरेपी हैं, लेकिन इनके परिणाम हमेशा संतोषजनक नहीं होते। बालों की ग्रोथ, जगह, उम्र जैसे कई फैक्टर के आधार पर हेयर रिमूवल तकनीक अपनाई जाती है। वर्तमान में ब्लीचिंग, ट्रिमिंग, शेविंग, वैक्सिंग, इलेक्ट्रोलसर्जिकल एपिलेशन और लेजर हेयर रिमूवल ही इलाज के विकल्प हैं। एक्सपर्ट के मुताबिक, उम्र के साथ बढ़ते बालों के कारण कई बार मरीज भावनात्मक रूप से टूट जाता है।

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