टिकट सर्वर काबार-बार डाउन होना भी बन रहा कारण
उज्जैन, अग्निपथ। श्री महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग में भगवान महाकाल के गर्भगृह से दर्शन करने वाले श्रद्धालुओं का तांता लग रहा है। भीड़ को जल्दी निपटाने के चक्कर में विंंडो पर तैनात कर्मचारियों से कोई भी श्रद्धालुओं से रुपये ले लेता है। लिहाजा रुपयों के गिनती में कमी पेशी नजर आ रही है। वहीं सर्वर डाउन होने से भी रुपये काउंट करने में कम्प्यूटर कभी अधिक टिकट बिकना बता रहा है तो कभी कम। ऐसे में कर्मचारियों को हिसाब किताब जोडऩे में दिक्कत आ रही हैं।
दरअसल टिकट बनाना और स्कैन कर इसका प्रिंट निकालना विंडो पर मौजूद कम्प्यूटर आपरेटर का काम रहता है। लेकिन जल्दी बाजी में श्रद्धालु आधार कार्ड के साथ उसे 1500 रुपये भी थमा देता है। ऐसे में आपरेटर को रिसीविंग करने वाले कर्मचारियों को इसको देना पड़ता है। भूलवश यदि देने में रह जायें अथवा श्रद्धालु यह कह दे कि उसने रुपये दे दिये हैं तो कर्मचारी को इसका हिस्सा अपने वेतन में से देना पड़ता है। इस व्यवस्था को यदि पूरी तरह से दुरुस्त कर दिया जाय। जैसे कि कम्प्यूटर आपरेटर को केवल आधार कार्ड लेकर प्रिंट निकालने का ही काम सौंपा जाय तो रुपयों की गड़बड़ी से बचा जा सकता है।
वहीं रिसीविंग करने वाला कर्मचारी केवल श्रद्धालु से रुपये लेकर इसको जमा करे तो इस गड़बड़ी से काफी हद तक बचा जा सकता है। लेकिन मना करने के बावजूद कम्प्यूटर आपरेटर धोखे से रुपये भी ले लेता है। लिहाजा रुपये की गिनती में ऊंचनीच आ जाती है।
जल्दी निपटाने के चक्कर में गड़बड़ी
ऐसा नहीं है कि कम्प्यूटर आपरेटर के हाथों से रुपये लेने के चक्कर में ही गड़बड़ी होती हो। जानबूझकर इस तरह का काम नहीं होता है। दरअसल इसमें सारी गलती श्रद्धालु की होती है। वह लाइन में लगकर आधार कार्ड के साथ ही रुपये भी निकाल कर कम्प्यूटर आपरेटर को थमा देता है। कम्प्यूटर आपरेटर जल्दीबाजी में इसको ले लेता है और रिसीविंग करने वाले अपने साथी को दे देता है। इस दौरान गड़बड़ी हो जाती है। यदि इनमें से किसी एक का ध्यान इस ओर न हो तो। ऐसे में कर्मचारियों को अपनी जेब से इसका भुगतान करना होता है।
सर्वर डॉउन तो भी काउंटिंग में कम-ज्यादा
प्रतिदिन बीच बीच में विंडो पर रखे काउंटिग का सर्वर डाउन हो जाता है। ऐसे में काउंटिंग मशीन गलत सलत बताने लगती है। कभी चार की जगह दो टिकट कम बताती है तो कभी अधिक। ऐसे में गिनती करने वाले कर्मचारियों को परेशानी का सामना कर फिर से रुपयों की रिकाउंटिंग करना पड़ती है।