बिनोद मिल की चाल में आज भी होगी मकान जमींदोज करने की कार्यवाही
उज्जैन, अग्निपथ। बिनोद मिल की जमीन को खाली कराने की कार्यवाही रविवार को लगातार दूसरे दिन भी जारी रही। रविवार शाम तक मिल की चाल में बने एक मकान को छोडक़र शेष सभी 159 मकान पूरी तरह से खाली हो चुके है। जिला प्रशासन ने शहर की तीन कॉलोनियों में कुल 95 परिवारों को फ्लैट आवंटित करवाए है। इनमें से लगभग 30 फ्लैट में परिवार रहने भी चले गए है।
रविवार सुबह 8 बजे से ही मकानों को खाली कराने के लिए प्रशासनिक अधिकारी और पुलिस बल मिल की चाल में पहुंच गया था। दूसरे दिन भी प्रशासनिक अधिकारियों ने मशीनों का इस्तेमाल नहीं किया। लोगों को अपने घरों से सामान, टीन-टप्पर, दरवाजे-खिडक़ी आदि निकालने का अवसर दिया गया। एडीएम संतोष टेगौर के मुताबिक रविवार शाम तक सभी मकान खाली हो चुके है, सोमवार शाम से पहले सभी को जमीदोज कर दिया जाएगा।
पूरी चाल में बचा रह गया एक ही घर
बिनोद मिल की चाल में लगभग 160 मकान बने हुए थे। प्रशासनिक अधिकारियों के रिकार्ड में इनकी संख्या 106 ही है। मिल की चाल में अब केवल एक ही मकान शेष रह गया है, केवल इसी मकान में परिवार रह रहा है। दरअसल, चाल में रहने वाले वृद्ध मांगीलाल नरवरिया का एक महीने पहले निधन हो गया था। 6 दिन पहले उनके पुत्र रीतेश नरवरिया का भी बीमारी की वजह से निधन हो गया।
रीतेश की मृत्यु के बाद अभी दसवें का क्रियाकर्म भी नहीं हुआ है। उसकी अस्थियां भी मिल की चाल में ही एक पेड़ पर टांगकर रखी हुई है। चाल के रहवासियों ने अधिकारियों से आग्रह किया कि रीतेश के दसवें का क्रियाकर्म हो जाने दिया जाए, इसके बाद उसका मकान तोडा जाए। अधिकारी इस पर राजी हो गए। मिल की चाल का बिजली कनेक्शन काट दिया गया है लिहाजा इस परिवार को भी अगले चार दिन अंधेरे में ही बिताना पड़ेंगे।
फ्लैट आवंटित कराए, रूपए नहीं बताए
बिनोद मिल की चाल में रहने वाले 57 परिवारों को आर.डी. गार्डी मेडिकल कॉलेज के सामने शिवांश पैराडाइज कॉलोनी में फ्लैट आवंटित कराए गए है। इसके अलावा हामूखेड़ी स्थित शिवांश एवेन्यू में 29 और महाकाल एवेन्यू कॉलोनी में 9 परिवारों को फ्लैट आवंटित किए गए है। ये सभी फ्लैट कॉलोनाइजर्स ने गरीब वर्ग के लोगों के लिए शासन के नियमों के तहत आरक्षित करके रखे हुए थे।
खास बात यह है कि मिल की चाल वाले परिवारों को फ्लैट तो आवंटित कराए गए लेकिन एक भी परिवार को यह नहीं बताया गया कि इन फ्लैट के बदले उन्हें कितने रूपए चुकाने होंगे। चाल के रहवासी अधिकारियों से इस पर सवाल करते रहे लेकिन जवाब किसी ने नहीं दिया। केवल इतना ही कहा- सब बाद में देख लेंगे, अभी तो रहने चले जाओ।