उज्जैन , अग्निपथ। विश्व प्रसिद्ध श्री महाकालेश्वर मंदिर में सोमवार को आरती के बाद दर्शन व्यवस्था ध्वस्त होती हुई दिखी। पीछे से दर्शन करने वाले और महाकाल के बीच लोग आकर दर्शन के लिये गर्भगृह में प्रवेश करते रहे। यह अव्यवस्था करीब आधे घंटे से अधिक समय तक रही। गर्भगृह निरीक्षक के लगातार अंदर रहने से बाहर की व्यवस्था नंदीहाल निरीक्षक संभालते रहे, जबकि पहले दोनों मिलकर यहां की अव्यवस्था का निपटारा करते थे।
महाकालेश्वर मंदिर में हाल ही में गर्भगृह निरीक्षक को केवल यहीं की व्यवस्था संभालने के निर्देश देने और नंदीहाल निरीक्षक को नंदीहाल से लेकर गर्भगृह की दहलीज तक का कार्य भार सौंप देने के कारण अव्यवस्था का आलम निर्मित होने लगा है। सोमवार को नंदीहाल से गर्भगृह में प्रवेश के लिये श्रद्धालुओं की लाइन छोड़ी जाती रही।
इधर चांदी गेट से भी 1500 रु. श्रद्धालुओं की लाइन गर्भगृह दहलीज तक लग गई थी। जल्द प्रवेश करवाने के चक्कर में नंदीहाल से जा रहे श्रद्धालु भगवान और गणपति मंडपम से दर्शन कर रहे श्रद्धालुओं के बीच आ गये। यह सिलसिला काफी देर तक चलता रहा। नंदीहाल निरीक्षक को दो लाइन संभालने का दायित्व होने के कारण व्यवस्था गड़बड़ाती रही।
तीन महिला कर्मचारी तो फिर निरीक्षक…
गर्भगृह में 15 श्रद्धालुओं को प्रवेश दिया जा रहा है। इनको जलाभिषेक के बाद बाहर करने के लिये तीन महिला कर्मचारियों को तैनात किया गया है। इसके अलावा एक गर्भगृह निरीक्षक को अंदर का ही काम देखने को कहा गया है। ऐसे में बाहर नंदीहाल निरीक्षक के भरोसे व्यवस्था छोड़ दी गई है। जिस पर एक व्यक्ति द्वारा काबू पाया जाना संभव नहीं है। आरती की व्यवस्था से पूर्व गर्भगृह निरीक्षक की मुख्य रूप से आवश्यकता होती है। लेकिन हर समय यहां की व्यवस्थाएं संभालने के लिये लगे होने के कारण बाहर अव्यवस्था फैल रही है।
मृदुभाषी होने के साथ सख्ती भी जरूरी
गर्भगृह और नंदीहाल निरीक्षक को सरल होने के साथ ही सख्त होना भी आवश्यक है। कई श्रद्धालु अपने हिसाब से दर्शन करना चाहते हैं। ऐसे में यदि दोनों सरल व्यवहार के हों तो फिर दर्शन में अव्यवस्था का आलम निर्मित हो जाता है। दोनों को कभी सरल तो कभी सख्त रुख अपनाना होगा अन्यथा बीच बीच में व्यवस्था डगमगाती रहेगी।