नवजात ने जीती जिंदगी की जंग, जन्म के बाद सांसें रुकी, डॉक्टरों और नर्सो ने सीपीआर देकर बचाई जान

एसएनसीयू से 20 दिन बाद स्वस्थय होकर लौटी बालिका

धार, अग्निपथ। कहते है डॉक्टर भगवान का रुप होते है, यह बात धार जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने साबित कर दी। यहां की नर्सों शिशुओं को ममता का दुलार देकर उन्हें मौत के मुंह से खींच लाई। जिला अस्पताल में 17 नवंबर को देदला की मधु की नार्मल डिलीवरी हुई थी। मधु ने बच्ची को जन्म दिया। जन्म के बाद बच्ची की सांसे नहीं चल रही थी। बच्ची जब काफी समय तक रोई जिसके बचने की उम्मीद भी ना के बराबर थी।

यहां तक की स्वजनों को इंदौर की सलाह भी दी गई थी। परंतु स्वजनों ने जिला अस्पताल की एसएनसीयू यूनिट के चिकित्सकों पर भरोसा जताया और बच्ची का उपचार यही कराने का फैसला लिया। 20 दिन के माता पिता के धैर्य व डाक्टरों, नर्सों की कड़ी मेहनत से बच्ची ने मौत की जंग को जीत लिया। साथ ही बच्ची पूरी तरह स्वस्थ्य हुई। मंगलवार को बच्ची को एसएनसीयू से डिस्चार्ज कर दिया गया है।

नली से पिलाया दूध, जीवन रक्षक दवा दी

प्रसूता मधु ने 17 नवंबर को बच्ची को जन्म दिया। इसके बाद बच्ची की सांसे नहीं चली रह थी। इस दौरान स्टाफ ने मशीन से करीब 10 मिनट तक बच्ची को आक्सीजन दिया। इसके बाद बच्ची की सांसे आई। बच्ची को एसएनसीयू में शिफ्ट किया गया। जहां 20 दिन तक जीवन रक्षक दवाइयां दी गई। साथ ही नली की सहायता से दुध पिलाया गया। 12 दिन तक आक्सीजन दिया गया। इसमें बच्ची पूरी तरह से स्वस्थ हो गई। लंबे समय तक बच्चों को आक्सीजन देने से बच्चों की आंखों की परेशानी हो सकती है। परंतु इस केस में बच्ची की आंखें भी पूरी तरह से स्वस्थ है।

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