संभाग से लेकर जिले के अधिकारी भी दे रहे थे मौन समर्थन
उन्हेल, (संजय कुंडल) अग्निपथ। पॉलिटिक्स प्रेशर क्या होता है इसकी बानगी तो सब जानते हैं पर जब प्रेशर ज्यादा हो तो मामला हाई वोल्टेज हो जाता है। ऐसा ही सब कुछ नागदा के सीएसपी पद को लेकर हुआ। नागदा से लेकर भोपाल तक पॉलिटिक्स प्रेशर सीएसपी की नियुक्ति को लेकर जोबना वह चौका देने के लिए पर्याप्त है। नागदा से भाजपा हो या कांग्रेस सभी ने यहां पदस्थ सीएसपी को लाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगा दिया और आखरी में 6 माह तक चले इस पॉलिटिक्स प्रेशर पर प्रभारी मंत्री ने विराम लगा दिया।
नागदा सीएसपी पद पर मनोज रत्नाकर पदस्थ थे, उनका स्थानांतरण नागदा से मल्हारगढ़ हो गया था उनकी लोकप्रियता और कार्यशैली के चलते भाजपा हो या कांग्रेस सभी कायल थे और कानून व्यवस्था चतुराई से पालन करने पर संभाग से लेकर जिले के अधिकारी भी उनके हर फैसले को लेकर फ्री हैंड करते थे। नागदा और घटिया के सभी नेताओं ने अपने अपने स्तर से पत्र लिखकर गृहमंत्री नरोत्तम मिश्रा तक रिकमेंड कर चुके थे। जिसमें पुलिस प्रशासन का मोन समर्थन होने के कारण नागदा जैसे अति संवेदनशील क्षेत्र होने के बावजूद भी यहां पर उन्होंने बडऩगर एसडीओपी को अतिरिक्त प्रभार देकर 6 माह तक सीएसपी का करवाते रहे और सीएसपी मनोज रत्नाकर की पदस्थापना को लेकर उनका मामला गृह मंत्रालय की जगह मुख्यमंत्री के पास पहुंच गया।
2 माह तक स्थान तरण निरस्त की फाइल वहां पर ही धक्के खाती रही इसी बीच सीएसपी मनोज रत्नाकर को मल्हारगढ़ ज्वाइन करना पड़ा फिर क्या था नागदा से चली पॉलिटिक्स प्रेशर हाई वोल्टेज मामला की हवा का निकलना शुरू हो गया था कुछ माह के मल्हारगढ़ में कार्यशैली से प्रभावित होकर प्रभारी मंत्री जगदीश देवड़ा ने मुख्यमंत्री कार्यालय में चल रही फाइल को ताला लगवा दिया और सीएसपी मनोज रत्नाकर का निरस्त होने वाला स्थान तरण वहीं पर दफन हो गया फिर नागदा में नए सीएसपी के रूप में बालाघाट के सीएसपी पिंटू कुमार बघेल का आदेश जारी हो गया यह पूरा मामला उज्जैन की पुलिस महकमे में चर्चा का विषय बना हुआ है।
इस कारण हुई बघेल की पदस्थापना
नागदा और महिदपुर अति संवेदनशील माना जाता है। यहां पर तहसील के मुख्यालय को संचालित करने के लिए अनुभवी तथा चतुर अधिकारी की पदस्थापना करना विभाग के लिए चिंता का विषय रहता है। इसी को ध्यान में रखते हुए गृह मंत्रालय ने बालाघाट में पदस्थ सीएसपी पिंटू कुमार बघेल को यह जवाबदारी इसलिए दी गई है कि उन्होंने खरगोन में हुए कुछ साल पहले सांप्रदायिक विवाद में वहां पर पदस्थ सीएसपी और एसडीएम को दोषी मानकर हटा दिया गया था। उस दौर में प्रोविजनल अधिकारी के रूप में पिंटू कुमार बघेल को खरगोन की सांप्रदायिक माहौल को सुधारने की जवाबदारी दी थी जिसमें बघेल गृह मंत्रालय की नजर में खरे उतरे थे इसी को ध्यान में रखते हुए बालाघाट से इनका स्थान तरण नागदा किया गया है सीएसपी पद पर यह उनकी पहली जॉइनिंग होगी अब देखना यह है कि खरगोन के बाद नागदा क्षेत्र की कानून व्यवस्था बघेल कैसे संभालते हैं। सीएसपी पिंटू कुमार बालाघाट से सोमवार को रिलीव किये जायेंगे।