उन्हेल, (संजय कुंडल) अग्निपथ। मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री प्रशासन में कसावट करने के लाख दावे कर रहे हो पर उनके दावे पर उज्जैन जिला स्वास्थ्य विभाग ने करारी चोट की है। उन्हेल नागदा खाचरोद पीएचसी के एक बीएमओ की पदस्थापना को लेकर उज्जैन जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी दो बनकर सामने आए हैं जो नियुक्ति पत्र में भाषा का उपयोग कर दो बीएमओ के आदेश जारी हुए हैं।
इस पीएससी में पदस्थ बी एम ओ का चयन जबलपुर हो जाने के कारण उन्हें यहां से रिलीव कर नए नियुक्ति के लिए आदेश जारी करना था और इसी पर मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी कार्यालय में नियुक्ति का खेल शुरू हुआ। जिसमें 25 नवंबर को मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी उज्जैन डॉ पी एन वर्मा ने पत्र क्रमांक 13222 जारी करते हुए बीएमओ डॉ कमल सोलंकी को रिलीव करते हुए नए बीएमओ के लिए डॉ गौरव पटेल नागदा को बीएमओ नियुक्त किए जाने का आदेश जारी कर दिया।
इसी बीच जिला मुख्यालय पर इस नियुक्ति को लेकर बड़ा खेल खेला गया और फिर 9 दिसंबर को पत्र क्रमांक 13662 का नियुक्ति आदेश मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ संजय शर्मा ने आदेश जारी करते हुए उन्हेल नागदा खाचरोद बीएमओ पद पर डॉ शिवराज कौशल खाचरोद को नियुक्त कर दिया।
पर दो बी एम ओके आदेश होने के बाद विधिवत तरीके से कौशल ने अपना कार्यभार संभाल लिया पर चौका देने वाली जानकारी तो यह है कि एक बीएमओ की पदस्थापना के लिए दो आदेश जारी होने से विभाग में खंडे बाजी के संकेत के साथ नियुक्ति का खेल खेले जाने का षड्यंत्र भी नजर आ रहा है जबकि विचारणीय प्रश्न यह है कि एक माह में दो आदेश जारी होना कई तरह की आशंकाओं को जन्म दे रहा है जबकि अंतिम आदेश में प्रभाव शिला होना भी लिखा गया है।
स्थायी की बजाए संविदा डॉक्टर को दिया प्रभार
नागदा-खाचरौद-उन्हेल पीएचसी विकासखंड के अंतर्गत बीएमओ पद को लेकर हमेशा से घमासान होता रहा है और यहां पर जिस तरीके से दो जिला अधिकारियों ने अलग-अलग नियुक्ति की है जिसमें एक षड्यंत्र की कहानी कार्यालय के अंदर है। उस पर यकीन किया जाए तो नियुक्ति में कोई मापदंड नहीं रखा जाता है स्थाई चिकित्सक को छोडक़र संविदा वालों को भी प्रभार दे दिया जाता है।
नवंबर और दिसंबर में हुई नियुक्ति को लेकर विभाग में कई तरह की चर्चा है। कहा तो यहां तक भी जा रहा है कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा हाल ही में एक योजना स्वास्थ्य केंद्रों को सुधारने के लिए साधारण मरम्मत तथा मरम्मत किए जाने का प्रोग्राम भी आया था जिसमें खुद स्वास्थ्य केंद्रों को मध्यप्रदेश शासन ने आत्मनिर्भर बनाते हुए पांच 500000 की राशि आवंटित भी की गई थी उसमें भी बड़ा खेल सिर्फ रंगाई पुताई कर खेला गया है और इसकी सच्चाई की जांच करना हो तो जिले के किसी भी स्वास्थ्य केंद्र की जांच की जाए तो बड़ा गड़बड़झाला सामने आ जाएगा और यह बात इसलिए लिखना पड़ रही है कि इस नियुक्ति में भी इसी योजना को लेकर यह खेल खेला गया है जबकि एक जानकारी यह भी है कि उन्हेल नागदा खाचरोद पीएचसी में महा अक्टूबर का वेतन लगभग 100 कर्मचारियों का अभी तक नहीं बांटा गया है वही नागदा स्वास्थ्य केंद्र में आज तारीख तक मेडिकल ऑफिसर तक नियुक्ति का आदेश जारी नहीं हुआ है उसके पीछे भी यह कारण है कि जो दावेदार हो वह जिला मुख्यालय कार्यालय पर संपर्क करेगा। उसकी ही नियुक्ति होगी ऐसा होने पर तत्काल नियुक्ति आदेश जारी हो जाएगा।
आप एक काम करो इसके लिए आप संजय शर्मा जी से बात करो। – डॉ. पीएन वर्मा, मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी उज्जैन
इस मामले में जब मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. संजय शर्मा से निरंतर संपर्क किया गया तो उन्होंने फोन रिसीव करना उचित नहीं समझा।