भारत सरकार द्वारा नई शिक्षा नीति को मंजूरी
उज्जैन, (एसएन शर्मा) अग्निपथ। शिक्षा विभाग भारत सरकार द्वारा प्रस्तावित नई शिक्षा नीति 2020को आज केन्द्रीय कैबिनेट ने अपनी स्वीकृति प्रदान कर दी । आज केन्द्रीय सरकार की कैबिनेट की स्वीकृति के बाद 36साल बाद देश में नई शिक्षा नीति लागू हो गई । कैबिनेट ने नई शिक्षा नीति को हरी झंडी दे दी है। 34 साल बाद शिक्षा नीति में बदलाव किया गया है। नई शिक्षा नीति के तहत अब 5वीं तक के छात्रों को मातृ भाषा, स्थानीय भाषा और राष्ट्र भाषा में ही पढ़ाया जाएगा. बाकी विषय चाहे वो अंग्रेजी ही क्यों न हो, एक सब्जेक्ट के तौर पर पढ़ाया जाएगा। पहले 10वी बोर्ड की परीक्षा देना अनिवार्य होता था, जो अब नहीं होगा। दसवीं परीक्षा अब नहीं रहेगी बोर्ड।
स्टूडेंट्स बीच में कर सकेंगे दूसरे कोर्स
हायर एजुकेशन में 2035 तक ग्रॉस एनरोलमेंट रेशियो 50 फीसदी हो जाएगा. वहीं नई शिक्षा नीति के तहत कोई छात्र एक कोर्स के बीच में अगर कोई दूसरा कोर्स करना चाहे तो पहले कोर्स से सीमित समय के लिए ब्रेक लेकर वो दूसरा कोर्स कर सकता है।
हायर एजुकेशन में भी कई सुधार किए गए हैं। सुधारों में ग्रेडेड अकेडमिक, ऐडमिनिस्ट्रेटिव और फाइनेंशियल ऑटोनॉमी आदि शामिल हैं। इसके अलावा क्षेत्रीय भाषाओं में ई-कोर्स शुरू किए जाएंगे। वर्चुअल लैब्स विकसित किए जाएंगे। एक नैशनल एजुकेशनल साइंटफिक फोरम शुरू किया जाएगा। बता दें कि देश में 45 हजार कॉलेज हैं।
नई शिक्षा नीति की खास बातें
- 10वीं बोर्ड खत्म
- केवल 12वीं क्लास में होगा बोर्ड
- एम- फिलहोगा बंद, कॉलेज की डिग्री 4 साल की
- 9वींं से 12वींं क्लास तक सेमेस्टर में परीक्षा होगी.
- स्कूली शिक्षा को 5+3+3+4 फॉर्मूले के तहत पढ़ाया जाएगा।
- कॉलेज की डिग्री 3 और 4 साल की होगी. यानि ग्रेजुएशन के पहले साल पर सर्टिफिकेट, दूसरे साल पर डिप्लोमा, तीसरे साल में डिग्री मिलेगी।
- 3 साल की डिग्री उन छात्रों के लिए है जिन्हें हायर एजुकेशन नहीं लेना है. वहीं हायर एजुकेशन करने वाले छात्रों को 4 साल की डिग्री करनी होगी. 4 साल की डिग्री करने वाले स्टूडेंट्स एक साल में एमए कर सकेंगे
- एमए के छात्र अब सीधे पीएचडी कर सकेंगे
- सरकारी, निजी, डीम्ड सभी संस्थानों के लिए होंगे समान नियम।