कार्यपालन यंत्री लीलाधर दोराया ने भर्ती रहने के दौरान सबमिट की इंस्पेक्शन रिपोर्ट
उज्जैन,अग्निपथ। नगर निगम के अधिकारी जो कर जाए वह कम है। यहां खुद को पीडि़त दिखाने वाले भी कब खुद खेल बता जाए, कह नहीं सकते। खुद को अधिकारी- पार्षद और पत्रकारों से प्रताडि़त बताते हुए नौकरी से इस्तीफा देने को तैयार हुए कार्यपालन यंत्री लीलाधर दोराया के हाल ही में चार गंभीर मामले सामने आए है। नौकरी से इस्तीफा देने के बाद दोराया 28 नवंबर से 6 दिसंबर तक अस्पताल में भर्ती रहे। उनके शरीर में शुगर का लेवल 550 तक पहुंच गया था। हद तो यह है कि नौकरी से इस्तीफा देने के बाद अस्पताल में भर्ती कार्यपालन यंत्री अस्पताल में बैठकर भी लोगों के मकानों के नक्शे पास कर रहे थे।
नगर निगम के कार्यपालन यंत्री लीलाधर दोराया शासन द्वारा स्थानांतरित कर दिए जाने के बाद वापस नौकरी पर आए और दो दिन पहले नगर निगम उज्जैन से इंदौर के लिए रीलिव भी कर दिए गए है। दोराया के उज्जैन से रीलिव होने के बाद अब उनके नए कांड सामने आए है। अस्पताल में भर्ती मरीज लीलाधर दोराया यहां भी अपने लैपटॉप से जोन क्रमांक 4 के भवनों के नक्शे पास कर रहे थे।
शुगर लेवल बढऩे के बाद उन्हें 28 नवंबर को शहर में घासमंडी के नजदीक पाटीदार अस्पताल में भर्ती किया गया था। इस अस्पताल के कमरा नंबर 204 में वे 6 दिसंबर तक भर्ती रहे। नगर निगम में भवन अनुज्ञा स्वीकृति का पोर्टल बताता है कि जिस वक्त कार्यपालन यंत्री लीलाधर दोराया खुद को पीडि़त और बीमार दर्शा रहे थे, दरअसल उस वक्त भी अस्पताल के कमरा नंबर 204 में बैठकर नक्शों को मंजूरी दे रहे थे।
एक नजर गड़बड़ी पर
- नगर निगम उज्जैन से 5 दिसंबर को जारी भवन अनुज्ञा क्रमांक 1832 में नगर निगम के कार्यपालन यंत्री लीलाधर दोराया ने 29 नवंबर को बतौर बिल्डिंग ऑफिसर अपनी रिपोर्ट सबमिट की। भक्त नगर निवासी नितिन वसंत गरूड़ के नाम पर यह नक्शा अधीक्षण यंत्री द्वारा स्वीकृत किया गया है। 29 नंबवर को दोराया पाटीदार अस्पताल में भर्ती थे।
- इसी तरह भवन अनुज्ञा क्रमांक 154 में 672 वैभव नगर के लिए भी 29 नवंबर को ही दोराया द्वारा अपनी रिपोर्ट सबमिट की गई।
- भवन अनुज्ञा क्रमांक 1927 में सी 12/29 ऋषिनगर के लिए भी कार्यपालन यंत्री लीलाधर दोराया ने अपनी रिपोर्ट 29 नवंबर को सबमिट की। यह अस्पताल में भर्ती रहने का उनका दूसरा दिन था।
- भवन अनुज्ञा क्रमांक 1887 को भवन क्रमांक 239/1 विश्वविद्यालय मार्ग उज्जैन के लिए स्वीकृत किया गया, यह भवन अनुज्ञा भी संदेहास्पद है। इसे भी स्वीकृति उसी अवधि में मिली, जिस अवधि में कार्यपालन यंत्री अस्पताल में भर्ती थे।